उत्तराखंडहरिद्वार

श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र सुनकर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु


: मंडी गोबिंदगढ़ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सुदामा चरित्र के साथ संपन्न


हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार स्थित मंडी गोबिंदगढ़ धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का शनिवार को सुदामा चरित्र के साथ संपन्न हो गई। कथा प्रवक्ता देवी चित्रलेखा की ओर से सुदामा चरित्र का वर्णन करने पर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।
कथा प्रवक्ता देवी चित्रलेखा ने कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। तभी एक प्रहरी महल के अंददर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को रोककर सुदामा को रोककर गले लगा लिया।
मंडी गोबिंदगढ़ धर्मशाला के अध्यक्ष राजकुमार गोयल ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के समापन समारोह में देश के कई राज्यों के श्रद्धालुओं ने शिरकत की। कथा समापन के बाद भंडारे का आयोजन किया गया। कथा के मुख्य यजमान जनक दुलारी, अशोक गुप्ता, प्रभा गुप्ता, दीपक गुप्ता, शिप्रा गुप्ता, आरव, कृशिव रहे।

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