हरिद्वार: श्री पंचायती अखाड़ा निर्मला के विवाद को लेकर श्रीमहंत रेशम सिंह पक्ष के संतों ने निर्मल संतपुरा में बैठक करते हुए महंत ज्ञानदेव सिंह की ओर से निर्मल भेख को मान्यता न देने और निर्मल भेख के संत-महंतों को लेकर आपत्तिजनक व अपमानजनक भाषा इस्तेमाल करने पर विरोध जताया। संत महंतों ने कड़ी निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन से गुमराह न होने की अपील की है।
सचिव महंत जगतार सिंह ने कहा है कि महंत ज्ञानदेव सिंह और उनके समर्थक यह भूल गए हैं कि निर्मल भेख के आदरणीय संतों-महंतों ने ही महंत ज्ञानदेव सिंह को वर्ष 1993 में अखाड़े का श्रीमहंत अध्यक्ष निर्वाचित और नियुक्त किया था। अखाड़े में जुलाई 2017 में पैदा हुए विवाद के कारण पिछले पिछले पांच सालों में महंत ज्ञानदेव सिंह, जसविंदर सिंह, दर्शन सिंह, अमनदीप सिंह, जसवीर सिंह आदि ने अखाड़े की संपत्ति खुर्द-बुर्द की है। आरोप लगाया कि जसविंदर सिंह, दर्शन सिंह, अमनदीप सिंह, जसवीर सिंह, आदि लोगों ने अखाड़े के अंदर अपनी ऐशोआराम भरी जिंदगी बनाने और अखाड़े के सम्पति को बर्बाद कर और खुर्दबुर्द कर धन-सम्पति के गबन किए हैं। जैसे महंतज्ञान देव सिंह के कार्यकाल में पहले महंत बलवंत सिंह सचिव ने संविधान के विपरीत और अखाड़े के हितों को नुक्सान पहुंचा कर अपनी निजी जायदाद बनाई थी।
अखाड़े की संपति बेचने, दुरूपयोग करने, आय का गबन करने व निर्मल भेख के साधु-संतों व महंतों को अखाड़े के अंदर आने से रोकने के लिए उन्हें आतंकवादी, भू-माफिया सरगना और असामाजिक तत्व कहकर झूठा व कुप्रचार किया जा रहा है। प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को गुमराह किया जा रहा है। साधु-संतों व महंतों ने अपने संयुक्त बयान में महंतज्ञान देव सिंह से पहले श्रीमहंतों/अध्यक्षों की ओर से अखाड़े में किए गए कामों और अखाड़े की सम्पति बनाने की सराहना की। कहा कि महंत ज्ञानदेव सिंह का नाम काले अक्षरों में लिखा जाएगा। चूंकि उन्होंने कुछ व्यक्तियों के बहकावे में आकर अखाड़े की सम्पति बर्बाद करने में अपने कुछ समर्थक महंतों के हितों की पूर्ति के लिए सहयोग देकर अखाड़े को नुकसान पहुंचाया है।
निर्मल मालवा साधु संघ के सचिव महंत भूपिंदर सिंह कोट भाई, बाबा जगरूप सिंह बुगरा, महंत जगराज सिंह, महंत विक्रमजीत सिंह चीमा, महंत श्याम सिंह मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश, महंत प्रेम सिंह, महंत बिक्कर सिंह, महंत महावीर सिंह, अखाड़े सचिव महंत जगतार सिंह आदि ने कहा कि अखाड़े की संपत्ति बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष जारी रहेगा।