हरिद्वार

उत्तराखंड में सरकार और प्रशासन द्वारा छठ महापर्व को प्रतिबंधित किए जाने पर किया प्रदर्शन

हरिद्वार।उत्तराखंड में सरकार और प्रशासन द्वारा छठ महापर्व को प्रतिबंधित किया जाना यहां रह रहे हैं लाखों पूर्वांचल के लोगों की आस्था पर कुठाराघात है जिसका यहां रह रहे पूर्वांचल के लोगों ने भारी विरोध प्रदर्शन किया है ।अत्यधिक रोष का विषय है कि आस्था का पर्व मनाये जाने पर ही शासन प्रशासन को कोरोना दिखाई दे रहा है ,अभी तक तो बिना किसी रोक-टोक और नियम कायदे के सभी कार्य हो रहे थे हाल ही में बिहार चुनाव की रैलियों में भी शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ाते हुए पूरा चुनाव कराया गया जिसमें लाखों लोगों को रैलियों एवं सभाओं में जुटाया गया।दीपावली धनतेरस के त्यौहार को भी खुली छूट के साथ मनाया गया ।हर की पैड़ी पर हजारों लोग मां गंगा के तट पर स्नान के लिए आ रहे हैं ,बाजारों में हजारों की संख्या में भीड़ जुट रही है ,शराब के ठेके बिना किसी प्रतिबंध के चल रहे हैं जहां पर जुटने वाली भीड़ पर कोई रोक टोक नहीं है ,उसमें शासन-प्रशासन को कोरोना का खतरा नहीं दिखता है ।अभी उत्तराखंड में चुनाव होने लगे तो कहीं भी करोना का भय नहीं दिखाई देगा ।पूरे उत्तराखंड में ही मंत्री -नेता ,अधिकारी गण अपने कार्यक्रम पूरे लाव लश्कर के साथ कर रहे हैं और हमारी आस्था के पर्व छठ में इन्हें कोरोनावायरस याद आ जाता है।प्रश्न यह है कि जो पर्व सामने दिख रहा है मात्र उसी पर रोक लगाने के लिए ही शासन-प्रशासन क्यों अलर्ट मोड में आ गया है बाकी जगहों पर भीड़ जुटने पर क्यों उनका ध्यान नहीं जाता।सरकार को यह सोचना चाहिए कि जनता की आंख पर पट्टी नहीं बंधी है कि उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है ,छठ महापर्व के अवसर पर आस्था के साथ खिलवाड़ करना किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है ।यदि स्थिति यही है तो सरकार को कुंभ महापर्व को कागजों में भी रद्द करके यहां पर धन का जो अपव्यय हो रहा है उसे रोक देना चाहिए ।एक ओर जहां दिल्ली ,महाराष्ट्र में भाजपा संगठन छठ महापर्व न मनाएं जाने देने पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है,वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में भाजपा की सरकार द्वारा ही छठ महापर्व पर रोक लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है ।शासन प्रशासन को इस बात पर भी सोचने की आवश्यकता है कि जब बाकी सब चीजों पर कोई रोक नहीं लगाया जा रहा है तो मात्र आस्था के पर्व पर ही रोक लगाना क्या दोहरा मानदंड और पूर्वांचल के लोगों के साथ भेदभाव नहीं है ?
पूर्वांचल के लोगों द्वारा इस दोहरे मानदंड का व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें ओमकार पांडे, बागेश्वर पांडे ,श्रीमती रंभा मिश्रा, मीना ठाकुर ,कल्पना पांडे, रेखा पांडे ,रानी पांडे ,लीलावती दुबे सरस्वती मिश्रा ,रेखा मिश्रा, मुन्ना पांडे ,उमाकांत तिवारी, आदर्श पांडे ,कृपा शंकर दुबे, दीनदयाल पांडे, विजय ड्रोलिया, संतोष कुमार ड्रोलिया ,अनंत सिंह, श्याम प्रकाश ,मनोरमा देवी आदि क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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