: गुरु सिमरन सिंह मंड को निरंजनी अखाड़े का प्रवक्ता बनाने पर विवाद, मुहर के इस्तेमाल पर भी उठ रहे सवाल
:मामले को लेकर पंच जल्द कर सकते है बैठक
हरिद्वार: निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की ओर से पंजाब निवासी गुरु सिमरन सिंह मंड को निरंजनी अखाड़े का प्रवक्ता बनाए जाने पर विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। अखाड़े के नाम से जुड़ी मुहर के इस्तेमाल पर भी सवाल उठ रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने स्पष्ट किया है कि अखाड़े का प्रवक्ता बनने का अधिकार स्वामी कैलाशानंद गिरि को नहीं है। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि इस बारे में अखाड़े के पंच निर्णय लेंगे और पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।
निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने पंजाब निवासी गुरुसिमरन सिंह मंड को निरंजन अखाड़े का राष्ट्रीय प्रवक्ता नामित किया था। उन्हें बाकायदा मनोनयन पत्र भी सौंपा गया। जिस पर अखाड़े की मुहर लगाकर हस्ताक्षर भी किए गए। इस संबंध में पंजाब के समाचार पत्रों में खबरें भी प्रकाशित हुई है। सोशल मीडिया पर भी मामला तेजी से चल रहा है। दरअसल इस पूरे मामले को लेकर विवाद हो गया है। आचार्य महामंडलेश्वर को अखाड़े का प्रवक्ता घोषित करने का अधिकार है या नहीं, इसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
पत्रकारों ने इस बारे में जब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमंत रविंद्र पुरी महाराज से सवाल किया तो उनका कहना था कि कुछ समाचार पत्रों से उन्हें भी इस मामले की जानकारी मिली है। लेकिन स्वामी कैलाशानंद गिरि को निरंजनी अखाड़े का प्रवक्ता घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर होने के नाते स्वामी कैलाशानंद गिरि को पूजा अर्चना से जुड़े अपने कार्य करने चाहिए। अखाड़े का प्रवक्ता घोषित करने का अधिकार केवल पंचों को है। मुहर के इस्तेमाल को लेकर पूछे गए सवाल पर श्रीमहंत रविंद्र पुरी का कहना था कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। इसके बाद पंच ही निर्णय लेंगे।