हरिद्वार

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा से मनोकामनाएं होती पूर्ण:श्रीमहंत रविंद्रपुरी

मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने भक्तों को शुभकामनाएं दीं
मां दुर्गा के विविध स्वरूपों की पूजा अर्चना का विधान है गुप्त नवरात्रि में
चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। वर्ष में कुल मिलाकर चार नवरात्रि आती हैं। मुख्य रूप से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रों के बारे में सभी जानते हैं। इनके अलावा दो और भी नवरात्रि हैं, जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपद से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू हो गए। इस साल 11 जुलाई से शुरू गुप्त नवरात्रि 18 जुलाई को समाप्त होंगे।

मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने सभी श्रद्धालुओं को गुप्त नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मां दुर्गा सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करें। उन्होंने भक्तों से पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से मां दुर्गा के विविध स्वरूपों की पूजा अर्चना करने का आह्वान किया।

गुप्त नवरात्रि में मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की श्रद्धा और आस्थापूर्वक पूजा करते हैं।

गुप्त नवरात्रि के दौरान कई नियमों का पालन करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि को शाकुंभरी नवरात्रि और गायत्री नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है जो भक्त गुप्त नवरात्रि के दौरान श्रद्धा-भाव से मां दुर्गा की पूजा करता है, उस पर मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की विशेष कृपा होती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में गुप्त नवरात्रि के महत्व के बारे में बताया गया है। यह भी उल्लेखित है कि तंत्र विद्याओं के लिए गुप्त नवरात्रि कितनी अनुकूल है। गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में महाविद्याओं की पूजा-उपासना करना अत्यंत कल्याणकारी होता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए रात्रि जागरण और हवन कराया जाता है।

गुप्त नवरात्र की प्रतिपदा से षष्ठी तिथि तक का विधान

11 जुलाई 2021- प्रतिपदा तिथि
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू हो गई है। प्रतिपदा तिथि पर घट स्थापित किया जाता है तथा माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

12 जुलाई 2021- द्वितीय तिथि
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने का विधान है।

13 जुलाई 2021- तृतीया तिथि
तृतीया तिथि पर माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को सुख व समृद्धि का वरदान प्रदान करती हैं।

14 जुलाई 2021- चतुर्थी तिथि

चतुर्थी तिथि में मां कुष्मांडा की पूजा होगी। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से श्रद्धालु रोग मुक्त हो जाते हैं।

15 जुलाई 2021- पंचमी तिथि
पंचमी तिथि पर मां स्कंदमाता की पूजा और आराधना का विधान है। मां स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं।

16 जुलाई 2021- षष्ठी तिथि
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी तथा मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी। मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह संबंधी बाधा दूर होती हैं। भय से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करती हैं।

गुप्त नवरात्रि पूजन की विधि-

  1. सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें।
  2. दोनों वक्त की पूजा में मां के समक्ष लौंग और बताशे का प्रसाद अर्पित करें।
  3. मां दुर्गा के समक्ष सदैव लाल रंग का पुष्प ही अर्पित करें।
  4. मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र ‘ऊं ऐं ह्रूीं क्लीं चामुंडाय विच्चे’ का सुबह-शाम 108 बार जप करें।
  5. गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं। ऐसा करने से आपकी पूजा और ज्यादा सफल होगी।

गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री-मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्र , दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, आम के पत्तों का बंदनवार, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, साबुत सुपारी, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, दीपक, दीपक बत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि।

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