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कु. आशना ने प्रथम, मोहिनी व नेहा वर्मा ने द्वितीय व श्रुति गुप्ता तथा ज्योति गोंदियाल तृतीय रही

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर किया गया भाषण प्रतियोगिता का आयोजन
डॉ सरस्वती पाठक को इस अवसर पर बनाया ओनेरेरी प्राचार्य एवं गेस्ट आफ आनर
28 प्रतिभागियों ने किया प्रतिभाग

कालेज एवं मुख्य चिकित्सा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ कार्यक्रमहरिद्वार 08 मार्च, 2021 । एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज में आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर काॅलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में मौ. खुशनसीब ने कन्याभ्रूण हत्या व अधिनियम 1994, गौरव वर्मा ने मुझे कोख में मारोगे तो हर कलाई सुनी रह जायेगी, जूही पालीवाल ने महिला के प्रति हमें अपना दृष्टिकोण बदलना होगा, मोहिनी राठौर ने मेरा उद्देश्य कन्याभ्रूण हत्या को खत्म करना, आशना ने बेटी को बोझ न समझे, नितिशा अग्रवाल ने लिंग परीक्षण, श्रुति गुप्ता ने लिंगानुपात, रुबिना ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, प्रज्ज्वल शर्मा ने भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में स्त्री के महत्व का वर्णन, नेहा वर्मा ने कन्या भ्रूणहत्या, कार्तिक ने महिलाओं हेतु केन्द्रीय योजनाओं, वर्षा कुशवाहा ने लिंग परीक्षण के दुष्परिणाम एवं भ्रूणहत्या, ज्योति गोंदियाल व आस्था ने लिंग परीक्षण सम्बन्धी कानूनों, अक्षत त्रिवेदी ने दहेज व्यवस्था, गौरव बंसल ने बेटी के महत्व पर अपने-अपने विचार रखे, इनके अतिरिक्त अवनीश कुमार, वैष्णती तिवारी, शबनम, सतोष, आस्था आदि छात्र-छात्राओं ने भी प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में कु. आशना ने प्रथम, मोहिनी व नेहा वर्मा ने द्वितीय व श्रुति गुप्ता तथा ज्योति गोंदियाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजयी प्रतिभागियों को काॅलेज प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा व मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक द्वारा पुरस्कृत किया गया। काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने विजयी प्रतिभागिओं को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि भारतीय संविधान के महिला अधिकारों को आज जागरूक ढंग से प्रयोग करना अनिवार्य है। उन्होंने आह्वान किया कि सभी को नारी का सम्मान करना चाहिए व उनकी शक्तियों को कमजोरी के रूप में नहीं देखना चाहिए। डाॅ. सरस्वती पाठक को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानीय आॅनरेरी प्राचार्या बनाया गया। मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक ने कहा कि महिलाओं द्वारा घर में रहकर जिन सेवाओं को सम्पादित किया जाता है उनको भी मौद्रिक मूल्याकंन के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय आय में भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। निर्णायक मण्डल की भूमिका का निवर्हन डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा व डाॅ. कुसुम नेगी द्वारा किया गया। विशेष सहयोग मोहन चन्द्र पाण्डेय, पंकज यादव व दिव्यांश शर्मा द्वारा किया गया। प्रतियोगिता का सफल संचालन कर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि पैरेंटिंग में पुत्र-पुत्री में कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यहीं से भेदभाव उत्पन्न होता है। इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. प्रज्ञा शर्मा, डाॅ. पदमावती तनेजा, श्रीमती स्वाति चोपड़ा सुगंधा वर्मा, रिंकल गोयल, डॉ सुषमा नयाल, हेमवती पोखरियाल,आदि उपस्थित रहे।

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