– 13 वर्षीय पीड़िता से दुष्कर्म करने का आरोप
– नाबालिग से शादी कर शोषण का आरोप
uttrakhand news 13 वर्षीय लड़की को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाकर दुष्कर्म करने के मामले में स्पेशल फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट/अपर जिला जज कुमारी कुसुम शानी ने आरोपी युवक को दोषी करार दिया है।विशेष कोर्ट ने आरोपी युवक को 20 वर्ष कठोर कारावास व एक लाख दो हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता भूपेंद्र चौहान ने बताया कि 16 दिसंबर 2019 की सुबह नौ बजे सिडकुल क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की शौच के लिए घर से बाहर गई थी। काफी देर तक पीड़िता अपने घर वापिस नहीं लौटी थी जिसपर परिजनों के तलाश करने के बाद भी पीड़िता का कोई पता नहीं चला।थक हारकर परिजनों ने उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट सिडकुल थाने में दर्ज कराई थी।घटना के करीब 15 दिन के बाद पीड़िता बरामद हुई थी।पीड़िता ने अपने परिजनों व पुलिस को अपनी आपबीती में बताया था कि घटना वाले दिन आरोपी उसे डरा धमकाकर व उसके भाईयों को जान से मारने की धमकी देकर पंजाब ले गया था।आरोप लगाया कि आरोपी ने छह दिनों के बाद पीड़िता से मंदिर में शादी कर कई बार जबरदस्ती दुष्कर्म किया है।सिडकुल पुलिस ने पीड़ित लड़की के भाई की लिखित शिकायत पर आरोपी सागर पुत्र पप्पू निवासी ग्राम औरंगाबाद थाना सिडकुल के खिलाफ बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने, दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। सरकारी पक्ष ने साक्ष्य में आठ गवाह पेश किए।
पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान बदले
नाबालिग लड़की ने मेडिकल जांच व मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपनी मर्जी से आरोपी के साथ जाने की बात कबूली थी। साथ ही आपस में एक दूसरे से प्रेम संबंध बताए गए थे। किंतु विचारण कोर्ट के समक्ष पीड़िता ने मजिस्ट्रेट साहब को दिए गए बयान आरोपी युवक के कहने पर देने का खुलासा किया था।
जुर्माना न देने पर अतिरिक्त सजा
विशेष कोर्ट ने आरोपी युवक को 20 वर्ष कठोर कैद व एक लाख दो हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड राशि जमा नहीं करने पर उसे छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
आर्थिक सहायता देने के दिए आदेश
कोर्ट ने पीड़ित लडक़ी को निर्भया प्रकोष्ठ से अर्थिक सहायता प्रदान करने के आदेश दिए हैं।उक्त निर्णय की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
विशेष कोर्ट का नजरिया
यौन शोषण के केस गंभीर प्रकृति के साथ शारिरिक, मानसिक स्वास्थ्य, शैक्षिक, नैतिक, सामाजिक व भावात्मक विकास के लिए हानिकारक है।ऐसे केस में आरोपी को सख्त दंड दिया जाना न्यायसंगत है।