उत्तराखंडहरिद्वार

सनातन धर्म के अपमान का दंश कांग्रेस को झेलना पड़ेगा:श्री महंत रामरतन गिरि

हरिद्वार।अखिल भारतीय सनातन परिषद के केंद्रीय कार्यालय में मजार व समाधि विवाद को लेकर एक बैठक आहुत की गई। बैठक की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरि महाराज और संचालन अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा ने किया।

बैठक को सम्बोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरि महाराज ने कहा कि कांग्रेस विधायक की बचकानी हरकतों और सनातन धर्म के अपमान का दंश कांग्रेस को झेलना पड़ेगा।संत महात्मा तो निर्मल प्रवृत्ति के होते हैं जो सभी को आशीर्वाद देते हैं लेकिन उत्तराखंड प्रदेश की सनातन धर्म संस्कृति को मानने वाली जनता कभी कांग्रेस विधायक और कांग्रेस को माफ नही करेगी और आने वाले भविष्य में कांग्रेस को मजार और समाधि के अंतर को झेलना पड़ेगा।

बैठक में अखिल भारतीय सनातन परिषद अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि कांग्रेस विधायक रवि बहादुर द्वारा को कुठाराघात सनातन धर्म संस्कृति पर किया गया है वो माफ़ी के लायक नहीं है कांग्रेस विधायक ने अपनी वोट बैंक की राजनीति को चमकाने के लिए पहले मजार को समाधि बताया और संतो द्वारा विरोध जताया गया तो संतो का पुतला दहन कर बड़ा अपराध किया है जिसका अखिल भारतीय सनातन परिषद विरोध जताती है।उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति अनादिकाल से मानवजाति के साथ साथ लोक कल्याण की कामना करती है जबकि अन्य धर्म नही करते।उन्होंने कांग्रेस विधायक रवि बहादुर को चेतावनी देते हुए संतो से माफ़ी मांगने की बात कही।

अखिल भारतीय सनातन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस विधायक रवि बहादुर मजार को समाधि बताकर सस्ती लोकप्रियता लूटना चाहते हैं जो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक को सनातन धर्म संस्कृति मानने वाले लोगो की भावनाओं से खिलवाड़ नही करना चाहिए यदि सनातनी बिगड़ गए तो कांग्रेस की ओर दुर्गति हो जायेगी।कांग्रेस विधायक रवि बहादुर को साधु संतों के पुतला दहन करने की बजाए माफ़ी मांगनी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा सुनील बत्रा ने कहा कि
हिंदू सनातन धर्म हम बात करे तो उसमें हमारे ऋषि मुनि तपस्वी संत वन में जाकर तप तपस्या किया करते थे और वर्षो तपस्या करने के उपरांत संत समाधि अवस्था में प्राप्त हो जाते थे और जब उनको सिद्धि प्राप्ति होती थी तो उस सिद्धि के उपरांत उनका शरीर पुनः नई काया के रूप में हो जाता था। समाधि की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है और तीन तरह की समाधि है वह सनातन धर्म में बताई गई है जिसमें भू समाधि , जल समाधि, और अग्नि समाधि की व्यवस्था सनातन धर्म में है ।

जब कोई संत, ऋषि,तपस्वी इस भूलोक से वैकुंठ धाम को प्रस्थान करता है तब उसे वर्तमान में भू – समाधि प्रदान की जाती है ,लेकिन अन्य धर्मों में समाधि की कोई भी व्यवस्था नहीं है वहां मृत शरीर को दफनाने की परंपरा है। इसलिए सनातन धर्म के अनुसार समाधि कि जो परम्परा है वह शाश्वत एवं निरंतर है।उसकी तुलना अन्य धर्मों से कदापि नहीं की जा सकती हैं।उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटम्बकम् ही सनातन धर्म संस्कृति का मुख्य आधार है।


बैठक में उपस्थित अखिल भारतीय सनातन परिषद के उपाध्यक्ष डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा,अविक्षित रमन,अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा,राष्ट्रीय प्रचार सचिव सतीश वन,अंतर्राष्ट्रीय सदस्य राजवीर सिंह कटारिया,प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार शर्मा,प्रदेश संयोजक डॉ विशाल गर्ग,प्रदेश सचिव विशाल राठौर,मानवेंद्र सिंह, राधेश्याम,सुधांशु जोशी,विक्रम सिंह,ऋषिपाल,प्रमोद गिरि,पंडित अधीर कौशिक।

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