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हरिद्वार।एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के आदेशों के विपरीत प्लास्टिक केन को जब्त कर गरीब लोगों को रोजगार से वंचित किए जाने के संदर्भ में पूर्व पार्षद लखन लाल चौहान द्वारा एक पत्र नगर आयुक्त ,नगर निगम हरिद्वार को दिया गया जिसमें नगर निगम की कार्रवाई को गरीब लोगों का उत्पीड़न बताते हुए निवेदन किया है की एनजीटी के द्वारा ऐसा कोई आदेश प्लास्टिक कैन को बंद करने के लिए नहीं दिया गया जिसका कि बार-बार नगर निगम हवाला देता है और अपने चालान में एनजीटी द्वारा 200 / 2014 और 10 / 2015 में पारित जिस आदेश का उल्लेख किया गया है इसी आदेश के पृष्ठ संख्या 47 पर “”सार्वजनिक प्राधिकरण को ऐसी गतिविधियों को विनियमित कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्लास्टिक के डिब्बे में पवित्र जल एकत्र करने के अलावा किसी भी रूप में प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाता है।
“”प्लास्टिक कैन गंगा जल भरकर ले जाने का सस्ता और सुरक्षित साधन है जिसमें श्रद्धालु मां गंगा का पवित्र जल भरकर अपने घरों को ले जाते हैं,इसको फैंका नहीं जाता और ना ही यह भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंधित सिंगल यूज़ प्लास्टिक सामग्री की सूची में है। वर्तमान में कावड़ मेला सन्निकट है जिसमें लाखों कावड़ियों के आने की संभावना है और इनका एकमात्र उद्देश्य पवित्र गंगाजल भरकर कावड़ के रूप में ले जाना ही होता है जिसमें 95% प्लास्टिक के कैन का ही प्रयोग किया जाता है जो कि सस्ता और सुरक्षित साधन है अगर इसको जबरन प्रतिबंधित किया जाता है तो इसका विकल्प क्या है और यह आशंका भी जताई है कि यदि गंगा जल भरने हेतु पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं होंगे तो कावड़ियों में रोष पनप सकता है और कोई अप्रिय घटना घट सकती है ।
पूर्व पार्षद ने नगर आयुक्त से न्यायिक एवं मानवीय दृष्टिकोण से श्रद्धालु तीर्थ यात्रियों तथा कावड़िया एवं प्लास्टिक कैन बेचकर भेज कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले गरीब लोगों का उत्पीड़न ना किए जाने हेतु अपने अधीनस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों को आदेश देने का आग्रह किया है । पत्र की प्रति प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्री उत्तराखंड ,जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी प्रेषित की गई है ।