उत्तराखंडचुनाव 2022देहरादूनराजनीती

नैनीताल सीट,चेहरा और सीट वही, बस लॉयल्टी बदल गई, संजीव और सरिता फिर होंगे आमने सामने


नैनीताल। सियासत में में लॉयल्टी कब बदल जाये पता नहीं होता, राजनीति में केवल कुर्सी की अहमियत होती है। वर्तमान हालत नैनीताल सीट पर इस बार फिर इसी तरह इशारा कर रही है ! 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्‍याशी सरिता आर्य और भाजपा उम्‍मीदवार संजीव आर्य आमने सामने थे। तब मोदी लहर में संजीव आर्य ने सरिता को सात हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। इस बार चुनावी समीकरण बदल चुके हैं। संजीव आर्य जहां पिता यशपाल आर्य के साथ पार्टी छोड़कर कांग्रेस में घर वापसी कर चुके हैं वहीं सरिता आर्य कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। जिसके बाद से ही संभावना जताई जा रही है कि दोनों ने टिकट के शर्तों पर ही दलों को ज्‍वाइन किया है। ऐसे में इस बार भी सीट वही हो सकती है, चेहरे वही हो सकते हैं, लेकिन दल बदल जाएंगे।


2016 में जहां हरक सिंह रावत कई बागी विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे वहीं एक साल बाद 2017 में चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य ने बेटे संजीव आर्य के साथ भाजपा की सदस्‍यता ग्रहण कर ली। जिसके बाद भाजपा ने संजीव आर्य को नैनीताल से मैदान में उतार दिया। यशपाल अपनी बाजपुर सीट से ही भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे। तब कांग्रेस ने अपनी निवर्तमान विधायक सरिता आर्य को ही संजीव के खिलाफ मैदान में उतारा। मोदी लहर में पिता-पुत्र दोनों की नैया पार लगी। संजीव आर्य ने सात हजार से अधिक मतों से सरिता आर्य को हराया। वहीं कुछ महीने पहले जब यशपाल और संजीव ने कांग्रेस में वापसी की तो सरिता ने बगावती रुख दिखाते हुए साफ कर दिया था कि नैनीताल सीट से कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह भाजपा ज्‍वाइन करने में चूकेंगी नहीं।
नैनीताल में कांग्रेसी नेता हेम आर्या भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। हेम आर्या 2017 में भाजपा से टिकट न मिलने पर नैनीताल से निर्दल चुनाव लड़े, तब डन्‍हें हार का मुंह देखना पड़ा। फिर 2018 में उन्‍होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। हेम ने 2012 में भाजपा की ओर से नैनीताल सीट पर चुनाव लड़ा था। तब वह 5000 वोटों से सरिता आर्य से पराजित हुए थे। अब हेम और सरिता आर्य भाजपा में ही हैं। ऐसे पार्टी से टिकट के लिए दोनों हर स्‍तर पर जोर लगाएंगे, लेकिन एक को समझौता करना ही पड़ेगा। वहीं सरिता ने टिकट के लिए ही कांग्रेस छोड़ी है तो उनका दावा अधिक मजबूत माना जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button