हरिद्वार

महाकुम्भ में काले घोड़े की नाल ढूंढ रहे है कई श्रद्धालु



हरिद्वार – धार्मिक पर्व के अवसर अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग अर्थ, अलग-अलग आधार और अलग-अलग कामनाएं लेकर आते हैं। वह छोटा पर्व त्यौहार हो या कुंभ मेले जैसा भव्य और महान पर्व। त्यागी और तपस्वीयों के लिए कुंभ मोक्ष का मार्ग है तो गृहस्थो के लिए उनके परिवार के कल्याण की कामना का सुनहरा अवसर है।
भक्तों के लिए ईश्वर की खोज का मौका और व्यापारियों के लिए व्यापार का अवसर है। बता दें कि कुम्भ मेलो में जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां और उद्योग समूह अपने अपने प्रमोशन के लिए एक व्यापक प्रचार का मंच और अधिक लाभ का रास्ता ढूंढते हैं। इस विशाल जन समूह में सनातन धर्म ही है जो लोगो को सादगी से जीना सीखाता है जैसे महाकुम्भ में लोग एकत्र होते है। इस जन समूह में गंगा स्नान अनिवार्य है तो अन्य पूजा-पाठ और पूजा की सामग्री को प्राप्त करना भी पुण्य माना जाता है।
ज्ञात हो कि यहां शनी दशा से लाभ और सुख समृद्धी के लिए भी लोग कुम्भ मे आते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काले घोड़े की नाल का धारण करना समृद्धी का प्रतीक माना जाता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काले घोड़े के नाल को शनि की दशा, महादशा, साढ़े सती हो या शनि देव की ढईया ये शनि ग्रह की वो दशाऐं हैं जो माना जाता है कि हर इंसान के जीवन काल में जरूर आती हैं और कष्टकारी भी होती हैं शनि की इन दशाओ से राहत पाने के लिए ही काले घोड़े की नाल का बना छल्ला पहनने की सलाह ज्योतिषीयों द्वारा दी जाती है।
काले घोड़े के पैरों में शनि का विशेष प्रभाव माना गया है, इसलिए काले घोड़े की नाल लेने की सलाह दी जाती है। हरकी पैड़ी, कुशाघाट, ब्रहमकुण्ड, बिड़ला घाट आदि स्थानो पर काले घोड़े की नाल बहुतायात में बिक रही है। यहां बेचने वाले व्यापारियो का कहना है कि कुम्भ में बहुत अधिक पूजा-पाठ की आवश्यकता नहीं है। इसलिए लोग सीधे उनसे खरीद रहे है और सामान्य विधीविधान से धारण कर रहे है। उन्होंने आगे बताया कि शनि ग्रह की दशा से पीड़ित लोग नाल की तलाश में इधर उधर भटकते हैं ताकि असली नाल हासिल कर सकें। हरिद्वार कुम्भ में लोग यहां सभी प्रकार की पूजा की सामग्री भी प्राप्त कर है।

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Lakshya Haridwar Pallavi Genral Store, Gali No -3 Birla Farm, haripur klan, Dehradun 9411111512

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