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जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हुए ब्रह्मलीन, अखाड़ा परिषद ने जताया शोक

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर धर्मनगरी हरिद्वार में संतजगत में शोक की लहर

हरिद्वार।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर शौक प्रकट करते हुए कहा कि भगवान के बाद सनातन धर्म में जगद्गुरु शंकराचार्य जी को ही भगवान का दर्जा दिया जाता है उनके ब्रह्मलीन होने से सनातन धर्म और संस्कृति की बड़ी अपूर्णीय क्षति हुई है श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने जीवन पर्यंत सनातन धर्म की ध्वजा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अपना समूचा जीवन लगाकर सनातन धर्म के का संरक्षण संवर्धन किया उन्होंने देश में हिंदू सनातन धर्म को बढ़ाने के लिए सैकड़ों आंदोलन संस्थाएं चलाई आज वह हमारे बीच में नहीं रहे जिससे संत समाज का बहुत बड़ा पूर्णिया क्षति हुई है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री एवं पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने हमेशा हिंदू धर्म के प्रति श्रद्धालु भक्तों को जागरूक करते हुए सनातन परम्परा को बढ़ाते हुए बड़े बड़े धार्मिक आयोजन धार्मिक कार्यशालाएं , आयोजित की।उन्होंने विश्व विख्यात महाकुंभ में देश विदेश की मीडिया के सामने सनातन धर्म की धर्म ध्वजा को ऊंचा उठाते हुए सनातन धर्म का मार्गदर्शन किया। भारत के संत महात्मा जगद्गुरु शंकराचार्य जी के नेतृत्व में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर श्रद्धालु भक्तों को हिंदू धर्म के प्रति जागृत करने का काम करते रहे।

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