अनादि काल से बाहुबली राजाओं की देन थी जाति प्रथा :श्री महंत रविंद्रपुरी

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि जातियां वर्ग विशेष बहुशाली राजाओं की देन है, सनातन परंपरा में केवल मानव जाति को प्रमुखता दी गई है। आदि गुरु शंकराचार्य ने जाति व्यवस्था का को नष्ट करने के लिए अखाड़ों की स्थापना की जिसमें आज के समय में सभी जाति के लोग सन्यास ग्रहण करते हैं और सनातन धर्म की रक्षा करते हैं भगवान ने केवल मानव जाति बनाई है कुछ बलशाली राजाओं ने अपने अनुसार समय-समय पर जाति वर्ग विशेष बनाकर मानव जाति को आपस में भिड़ा कर अपना राज्य अपना शासन सुरक्षित करने का काम किया लेकिन आज संपूर्ण भारत में जाति विशेष को कोई महत्व नहीं दिया जाता सब लोग आपस में एकता अखंडता और भाई चारे के साथ निवास करते हैं सब एक दूसरे के सुख दुख में भागीदारी करते हैं अब जाति व्यवस्था भारत में देखने को नहीं मिलती है जिसका संत समाज स्वागत करता है मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। ईश्वर के लिए सभी मनुष्य एक समान हैं। समाज में कोई ऊंचा नीचा नहीं है। सभी एक समान हैं। सनातन धर्म संस्कृति में जातिगत भावना का कोई स्थान नहीं है। शबरी के झूठे बेर खाकर भगवान राम ने समाज को समरसता का संदेश दिया। सभी को भगवान राम के दिए संदेश को आत्मसात करना चाहिए। किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। भेदभाव से समाज कमजोर होता है। सभी को एकजुट होकर देश के विकास में योगदान करना चाहिए। श्री महंत रविंद पुरी महाराज ने कहा कि अनादि काल में बाहुबली राजाओं ने जाति व्यवस्था को लागू करने का काम किया लेकिन भगवान श्रीराम ने जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर माता शबरी के झूठे बेर खाए तो वही केवट से मित्रता धर्म निभाया तो वही सुग्रीव से अपनी मित्रता के परीक्षा दी।