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हरिद्वार।पहाड़ों के देवता की रूप में जाने जाने वाले विश्वनाथ जगदीश शीला डोली पहाड़ों से उतरकर आज धर्मनगरी हरिद्वार पहुँची है जहाँ डोली ने हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड में पतितपावनी मां गंगा में स्नान किया है और डोली की विधिवत पूजा अर्चना कर विश्वशांति की और देव संस्कृति की रक्षा और संस्कृत भाषा के उन्ननयन की कामना की गयी है , ढोल दमायु और नगाड़ों की थाप पर सैकड़ो श्रद्धालुओं के साथ उत्तराखंड के पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी की अगुवाई में पहुँची बाबा की डोली का हरकी पैडी पहुचने पर जोरदार स्वागत किया गया और पूरे विधिविधान के साथ बाबा को माँ गंगा में स्नान करवाया गया और पूजन किया गया।
इस डोली यात्रा मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की देव भूमि का जो कंसेप्ट है उसे सिद्ध करने के लिए पिछले 22 वर्षों से लगातार चल रही है 141 धाम चिन्हित कर लिए दिए गए हैं 165 चयनित होने हैं और इसी तरह से 1000 धाम चिन्हित करके पूरे विश्व में उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का कार्य करना मुख्य उद्देश्य है । इस मौके पर गंगा सभा के पदाधिकारी और तीर्थ पुरोहित और श्रद्धालुगण मौजूद रहे।
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आज हरिद्वार पहुँची देवडोलिया नगर भ्रमण करते हुए यहां के सभी पौराणिक मंदिरों आदि के दर्शन करेंगी और कल यहां से रवाना होगी और 30 दिन की यात्रा के बाद गंगा दशहरा के दिन विशौन पर्वत टिहरी गढ़वाल पहुचेगी।
विश्वनाथ जगदीश लाल डोली यात्रा के संयोजक पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना है कि विश्वनाथ जगदीश शिला डोली इस वर्ष 23 वर्ष में पूरे उत्तराखंड के भ्रमण पर निकली है और प्रतिवर्ष इस की यात्रा चलती है विश्व शांति की कामना के लिए देश संस्कृति की रक्षा के लिए और चार धाम के साथ-साथ 1000 धाम उत्तराखंड में स्थापित हो संस्कृत भाषा का उन्नयन हो, इस तरीके से इस डोली का जो भ्रमण कार्यक्रम है वह पूरा 30 दिन का पूरे उत्तराखंड में है 165 देवालयों में साढ़े 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके यह डोली
बाबा विश्वनाथ जगदीश शिला ने भ्रमण करना है और विश्व की शांति की कामना के लिए प्रदेश की प्रगति के लिए यह डोली चलती है और टिहरी गढ़वाल के विशौन पर्वत पर वहां 9 जून गंगा दशहरा के दिन डोली पहुंचेगी जगदीश शीला पर और वहां पर लोगों को आशीर्वाद देगी,
इस डोली यात्रा का मुख्य उद्देश्य हमारे उत्तराखंड की जो भूमि है देव भूमि है यह देव भूमि का कंसेप्ट सिद्ध करने के लिए पिछले 22 वर्षों से लगातार चल रही है 141 धाम चिन्हित कर लिए दिए गए हैं 165 चयनित होने हैं और इसी तरह से 1000 धाम चिन्हित करके पूरे विश्व में उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का कार्य करना है।
महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज का कहना है कि यह डोली यात्रा 23 वे साल में हो रही है और मैं धन्यवाद करना चाहूंगा मंत्री प्रसाद नैथानी जी आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने हमें भी प्रेरणा दी और हम सब ने यहां पहुंचकर जनकल्याण की भावना से विश्व शांति की भावना से यहां पर पूजा की है और देवडोलियों की पूजा की है, सारे विश्व में शांति हो, करोना जैसी महामारी न आए, कोई आपदा न आये , सब अपने आप में खुश खुशहाल रहें जैसे पहले परमपिता परमात्मा की रौनक थी वह रौनक दोबारा आए, देवडोली की पूजा के अवसर पर प्रभु से यही प्रार्थना की है, , आज विश्वनाथ जगदीश शिला डोली के साथ ही नागेंद्र देवता की डोली और कालेश्वर देवता की डोली लैंसडाउन से भी आई है और सभी डोलियों ने मां गंगा में स्नान किया है और उनकी विधिवत पूजा की गई है ।