समस्त हलचल को दूर करने की विधि है एकाग्रता:मनोज श्रीवास्तव

एकाग्रता से सर्व शाक्तियॉ सिद्धि स्वरूप में प्राप्त होती है। आजकल दुनिया में लोग हलचल से तंग आ गये है। यहॉ अनेक प्रकार की हलचल है राजनितिक हलचल, वस्तुओं के मूल्य का हलचल करेन्सी की हलचल, कर्मभोग की हलचल और धर्म की हलचल देखने को मिलती है। समस्त हलचल को दूर करने की विधि है एकाग्रता।
तीव्र पुरूषार्थ सहज सिद्धि प्राप्त हो जाती है। सहज सिद्धि की विधि है एकाग्रता की शक्ति। संकल्प में सिद्धि न होने का कारण है, एकाग्रता की कमी। एकाग्रता की कमी होने के कारण हलचल होती है। जहॉ एकाग्रता होगी वहॉ स्वतः ही शान्त और एकरस स्थिति होगी। जहॉ एकाग्रता होगी वहॉ संकल्प, बोल और कर्म का व्यर्थ पन समाप्त हो जाता है और समर्थ पन आ जाता है।
समर्थ होने के कारण सभी प्रकार की सिद्धि आ जाती है। इसका आधार है एकाग्रता। एकाग्रता अर्थात एक ही श्रेष्ठ संकल्प में स्थित रहना है। एकाग्रता को बढाने पर सर्व प्रकार की हलचल समाप्त हो जाती है। एकाग्रता अपनी तरफ आकर्षित करती है। एकाग्र वस्तु दूसरों को भी एकाग्रता का अनुभव करायेगी और हलचल वाली वस्तु दूसरों को हलचल में लायेगी।
एकाग्रता के आधार पर वस्तु जो है और जैसी है उसे उसी रूप में स्पष्ट देख सकते है। इस कारण कोई वस्तु क्यो है, कैसी है, इससे सम्बन्धित हलचल समाप्त हो जाती है क्योकि जब कोई वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है तो किसी प्रकार का क्वेश्चन नही उठता है। आत्मिक स्वरूप अर्थात एकाग्रता से यह हलचल और क्वेश्चन समाप्त हो जाता है। जिससे हमारा हर संकल्प स्पष्ट हो जाता है। भूतकाल और भविष्य काल सम्बन्धी हमारा संकल्प, बोल और कर्म उसी प्रकार स्पष्ट होता है जैसे वर्तमान काल में होता है। यहॉ संकल्प रूपी बीज शाक्तिशाली होता है।