हरिद्वार

भगवान शिव की पूजा से होती हैं मनोकामनाएं पूरी : श्रीमहंत रविंद्रपुरी

शिवरात्रि की पावन बेला पर चरण पादुका मंदिर में मंशेश्वर महादेव शिवलिंग और नंदी की स्थापना

हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी स्थित चरण पादुका मंदिर में श्रावण मास की पावन बेला पर मंशेश्वर महादेव शिवलिंग और नंदी की ब्राह्मणों द्वारा वेद मंत्रों के साथ रुद्राभिषेक कर प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान के साथ की गई। हवन कर स्थापना के बाद आरती कर भगवान से सुख समृद्धि की कामना की।


मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि श्रावण मास महाशिवरात्रि पर्व पर मंशेश्वर महादेव शिवलिंग और नंदी की मनसा देवी चरण पादुका मंदिर परिसर में वेदों मंत्रों के साथ रूद्राभिषेक कर प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान के अनुसार स्थापना की गई।

पंडित सुरेश तिवारी, मुन्ना पंडित,
मोहन चंद पांडे, जगदीश जोशी, रमेश उप्रेती, हेमचंद जोशी, शिव नारायण शर्मा, कैलाश भारती द्वारा वेद मंत्रोच्चार किया गया। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। भगवान शिव के पूजन और रुद्राभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

उन्होंने बताया कि संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया था। विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए।

तभी से हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव से विशेष रूप से प्रार्थना की गई कि सम्पूर्ण देश से कोरोना महामारी का खात्मा हो।

भगवान शिव की कृपा से जल्द देश कोरोना मुक्त होगा। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव अपने ससुराल आए थे। जहां पर उनका अभिषेक करके धूमधाम से स्वागत किया गया था। इस वजह से भी सावन माह में अभिषेक का महत्व है। इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती भू-लोक पर निवास करते हैं। इस अवसर पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरि, श्रीमहंत राधे गिरी, महंत रविपुरी, ट्रस्टी बिंदु गिरी, अनिल शर्मा, संदीप अग्रवाल, हेमंत टुटेजा उर्फ टीना, प्रतीक सूरी, सुंदर राठौर, डॉ सुनील कुमार बत्रा आदि उपस्थित थे।

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