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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने गंगा कलश यात्रा को श्री पशुपति मंदिर नेपाल के लिए किया रवाना

वाद्य यंत्रों के साथ गंगाजल कलश यात्रा पशुपति मंदिर नेपाल के लिए हुआ रवाना

महंत रवि पुरी महाराज ने श्री गंगा कलश यात्रा का पुष्पों से की वर्षा

1100 लीटर गंगाजल का कलश पशुपति मंदिर के लिए रवाना हुआ

हरिद्वार/विजय सुब्रह्मण्यम 

हरिद्वार: पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी मायापुर स्थित मनसा देवी चरण पादुका मंदिर से अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने रविवार को गंगाजल कलश यात्रा को नेपाल के काठमांडू के लिए रवाना किया। यह गंगाजल कलश यात्रा गंगोत्री धाम से लाए गए पवित्र गंगाजल को लेकर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचाई जाएगी, जहां भगवान शंकर को यह जल अर्पित किया जाएगा।

श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि यह यात्रा सनातन धर्म की पवित्रता और सद्भावना को समर्पित है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा वर्षों से चली आ रही है और इसका उद्देश्य सभी सनातनी भाइयों को एकजुट करना है। उन्होंने कहा, “यह यात्रा अखंडता और एकता का प्रतीक है, और यह सभी के बीच प्रेम और सहयोग को बढ़ावा देने का कार्य करती है।”

गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज ने यात्रा की विशेषता बताते हुए कहा कि यह यात्रा बरेली, लखनऊ, गोरखपुर और नारायण घाट होते हुए कार्तिक शुक्ल दशमी के दिन काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ को गंगाजल अर्पित करेगी। यात्रा के मार्ग में लाखों भक्तों द्वारा कलश का स्वागत किया जाता है और श्रद्धालु इसे पुण्य का अवसर मानते हुए उत्साह से भाग लेते हैं।

इस यात्रा का विशेष महत्व सनातन परंपराओं और सांस्कृतिक संबंधों की पुनर्स्थापना से जुड़ा है। वर्षों पहले उत्तराखंड और नेपाल के बीच पारंपरिक रोटी-बेटी के संबंध किसी कारणवश बाधित हो गए थे। गंगाजल कलश यात्रा के माध्यम से दोनों क्षेत्रों के बीच प्रगाढ़ता और सांस्कृतिक एकता को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह यात्रा मां मनसा देवी और भगवान पशुपति की कृपा से सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है।

श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि पिछले 24 वर्षों से यह यात्रा निरंतर हो रही है, और हर साल यह यात्रा सनातन धर्म की महिमा को और अधिक व्यापक रूप से फैलाने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह विभिन्न समुदायों को एक मंच पर लाने का माध्यम भी है।

गंगोत्री धाम से लेकर नेपाल तक की यह यात्रा लंबी दूरी तय करती है और इसमें यात्रा करने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या होती है। यात्रा मार्ग में भक्तजन विशेष आयोजन करते हैं, जहां भजन-कीर्तन और आध्यात्मिक प्रवचन होते हैं। श्रद्धालु बड़े उत्साह के साथ यात्रा में भाग लेते हैं और इस धार्मिक अवसर को अपने जीवन में शुभ मानते हैं।

गंगाजल कलश यात्रा के आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी भागीदारी होती है। लोग इस यात्रा को विशेष श्रद्धा के साथ देखते हैं और मानते हैं कि गंगाजल अर्पण से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। यात्रा के दौरान अखाड़ा परिषद के संत समाज भी अपने संदेशों से लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं और एकता का आह्वान करते हैं।

श्री गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज ने यात्रा की ऐतिहासिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि गंगा कलश यात्रा युगों पुरानी परंपरा है, और इसका महत्व सदियों से बना हुआ है। यह यात्रा धर्म और संस्कृति को जोड़ने वाली कड़ी है, जो एक अद्वितीय परंपरा को जीवित रखने का कार्य करती है।

सभी भक्तों के लिए यह यात्रा एक प्रेरणा है, जो यह सिखाती है कि चाहे भौगोलिक दूरियां कितनी भी हों, श्रद्धा और विश्वास हमेशा हमें एक सूत्र में बांध सकते हैं। यात्रा के समापन पर भगवान शंकर को गंगाजल अर्पित करने की परंपरा से धार्मिक आस्था को और बल मिलता है। मां मनसा देवी और भगवान पशुपतिनाथ की कृपा से यह यात्रा न केवल धर्म के प्रचार-प्रसार का कार्य करती है, बल्कि समाज में एकता और सद्भावना का संदेश भी देती है।

श्री महंत केशव पूरी,महंत रवि पुरी,महंत रवि शास्त्री,मां बगला पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर वेद मूर्तिनंद सरस्वती,पंडित पवन कृष्ण शास्त्री,अवधूत पाताल बाबा, एस एम जे एन पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा,वरिष्ठ भाजपा नेता डॉक्टर विशाल गर्ग,सुनील प्रजापति,पंडित अधीर कौशिक,महाराजा अग्रसेन वैश्य समाज हरिद्वार के अध्यक्ष राकेश गोयल,सुंदर राठौर आदि मौजूद रहे।

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