उत्तराखंडहरिद्वार

त्रिवेणी संगम की अनुभूति देता है शदाणी गंगा घाट: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती



शदाणी दरबार तीर्थ में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार सप्तसरोवर स्थित भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतीक 300 वर्ष प्राचीन शदाणी दरबार तीर्थ में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दरबार पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का शदाणी दरबार के नवम पीठाधीश्वर डॉक्टर संत युधिष्ठिर लाल शादानी और भक्तो ने किया स्वागत।


उन्होंने शदाणी दरबार की ओर से बनाए गए शदाणी घाट की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर प्रशंसा जाहिर की।
जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि संत शदाणी गंगा घाट प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत दर्शन और त्रिवेणी संगम की अनुभूति देता है। उन्होंने शदाणी पीठाधीश्वर संत युधिष्ठिर लाल महाराज द्वारा निर्मित संत सदानी घाट की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर प्रसन्नता व्यक्ति की। उन्होंने अपने आशीर्वाद वचन में कहा कि हमें संत शदाणी घाट पर गंगा गोविंद एवं गुरु के दर्शन हो रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे यह त्रिवेणी का संगम हो। उन्होंने शदाणी दरबार तीर्थ द्वारा पूरे भारतवर्ष में चलने वाले प्रकल्पों की प्रशंसा करते हुए कहा कि शदाणी दरबार सदैव धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। जिससे भक्तों को तीर्थ स्थलों एवं संतों का दर्शन मिलते रहते हैं।

शदाणी दरबार पीठाधीश्वर संत डॉक्टर युधिष्ठिर लाल महाराज
ने जगतगुरु शंकराचार्य का स्वागत करते हुए कहा कि शदानी दरबार का मुख्य शब्दकोश यही है कि गाय गंगा का सम्मान करो, तभी भारत महान बनेगा। इसी भाव को साकार करते हुए मां गंगा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए संत शदाणी घाट का निर्माण करवाया है। जिससे पूरे विश्व से आने वाले श्रद्धालु गण गंगा स्नान पूजा पाठ का लाभ लेते हैं। अखिल भारतीय सदनीय सेवा मंडल ट्रस्ट के अध्यक्ष एडवोकेट उदय शदाणी ने बताया कि जगदगुरु शंकराचार्य कार्यक्रम में भाग लेने के बाद बद्रीनाथ के लिए प्रस्थान कर गए हैं।अमर लाल शादानी ,अशोक कुमार चावला दीवान चावला बलदेव कपिल तालरेजा बंटी भजन दास बाबूराम सुरेश खत्री सुनील कुमार जेसवानी अजय छतरे, मुखी आसान दास,ताराचंद,राहण्ड राम बत्रा,शंकर लाल सचदेव आदि मौजूद रहे।

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