उत्तराखंडअखाड़ा परिषदहरिद्वार

Haridwar news जो सनातन का काज करेगा वही भारत में राज करेगा: श्रीमहंत रविंद्रपुरी

 

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: अखिल भारतीय खड़ा परिषद अध्यक्ष ने अखाड़े से रवाना की गुरुकुल शिक्षा चेतना यात्रा

 

: देशभर में तीन विषयों को लेकर करेगी भ्रमण

 

Haridwar news जूना अखाड़ा द्वारा गुरुकुल शिक्षा चेतना यात्रा हरकी पैड़ी पर पूजा अर्चना करने के बाद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजन से प्रारंभ की गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने अखाड़े से यात्रा को विधिवत रूप से प्रारंभ कराते हुए रवाना किया। यात्रा में शामिल सभी सातों को रुद्राक्ष और फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया गया। संत देशभर में भ्रमण करेंगे। सनातन गुरुकुल की पुनः स्थापना और मठ मंदिरों का धन सनातन पर ही खर्च हो, गऊ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का मुद्दा उठाया जाएगा।

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इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में सनातन धर्म परंपरा, भारतीय संस्कृति और सभ्यता विश्व प्रसिद्ध रही है। जूना अखाड़ा की यात्रा अखाड़े से विधिवत रूप से शुरू की गई है। सनातन की रक्षा और संदेश के लिए पूरे भारत में भ्रमण करने जा रही है। जो सनातन का काज करेगा वही 2024 में देश में राज करेगा। कहा कि यात्रा में शामिल संत देश भर में कई विषयों को लेकर भ्रमण करेंगे।

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Haridwar news श्रीमहंत स्वामी ब्रह्मानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्री पंचदस नाम जूना अखाड़ा की ओर से गुरुकुल शिक्षा चेतना यात्रा प्रारंभ की गई है। विश्व भर में सनातन धर्म की अलख जगाने के लिए यह यात्रा की जा रही है। अभी एक टोली यात्रा के लिए निकली है। देशभर में जगह-जगह से संतों की टोलिया यात्रा करेंगी। हर गांव और शहर तक यात्रा के माध्यम से पहुंचकर सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया जाएगा। गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। इन सभी विषयों को लेकर यात्रा की शुरुआत की गई है।

Haridwar news अखिल भारतीय सनातन परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा और युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष माघवेंद्र सिंह ने सभी संतों का फूल माला पहनाकर स्वागत कर आशीर्वाद लिया।इस अवसर उत्तराखंड मंडल के श्रीमहंत महेश्वरानंद गिरी, श्रीमहंत ब्रह्मानंद गिरी, केशव स्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी अच्युतानंद गिरी, स्वामी प्रवणानंद गिरी, स्वामी ओमकारानंद गिरी, आचार्य गिरीश मिश्रा, शंकरानन्द गिरी, स्वामी स्वरूपानंद गिरी, स्वामी वज्ञानंद गिरी आदि मौजूद रहे।

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