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धामी की जीत से होगा संस्कृति, धर्म और गंगा सरंक्षण: राजराजेश्वराश्रम

: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीत पर जगद्गुरु आश्रम में बंटी मिठाईयां
: साधु संतों ने मिलकर मनाई पुष्कर सिंह धामी की जीत की खुशियां

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हरिद्वार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की रिकॉर्ड मतों से जीत को लेकर साधु संतों में हर्ष की लहर है। शनिवार को कनखल के जगद्गुरु आश्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज के नेतृत्व और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी व निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की उपस्थिति में साधु संतों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाई। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम ने कहा कि देश में एक परिवर्तन की बयार बह रही है। उस परिवर्तन में जो ऐतिहासिक रूप से हिंदु समाज पर आक्रमण हुए, जो आक्रांता आए, उनके आक्रांताओं के आक्रमण और उनके अत्याचार के रूप में आज भी मस्जिदें खड़ी हैं। देश परिवर्तन की ओर है। इतिहास अपने आप को दोहराता है। ऐसे समय में जब देश में नरेंद्र मोदी जैसे यशस्वी प्रधानमंत्री हों, उस समय इस प्रदेश में भी एक तेजस्वी और युवा मुख्यमंत्री की आवश्यकता है। जो वास्तव में यहां की रीति-नीति, संस्कृति, धर्म, गंगा इन सबका सरंक्षण करे। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कीर्तिमान से विजयी हुए हैं, उनके लिए पूरे साधु समाज का आशीर्वाद है। वह इस प्रदेश को उन्नति के शिखर पर ले जाएंगे, ऐसा विश्वास है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीत से पूरे संत समाज में अपार हर्ष बना हुआ है। चंपावत का उपचुनाव भले ही विधानसभा सीट के लिए था, लेकिन इस उपचुनाव में चंपावत की जनता ने विधायक ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए कर्मठ और लग्नशील मुख्यमंत्री को चुना है। पूर्ण विश्वास है कि मुख्यमंत्री धामी इस प्रदेश के कोने-कोने तक विकास की लहर पहुंचाएंगे। वहीं, निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज कराने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संत का भरपूर आशीर्वाद मिलता रहा है और आगे भी मिलता रहेगा। उनकी जीत उत्तराखंड को उन्नति के नए शिखर पर लेकर जाएगी।

साधुओं पर जजिया कर बंद हो
इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि

साथ ही ये जो साधुओं पर जजिया कर लगाया हुआ है, टैक्स वसूला जा रहा है, इस टैक्स के लिए भी हम आग्रह करते हैं कि नई सरकार उसमें परिवर्तन करेगी। साधु महात्माओं से जो अनावश्यक रूप से पैसा लिया जा रहा है, वह बंद हो। संन्यास कोई प्रोफेशन नहीं है वह मिशन है। कितना दुखद है कि हमारे आश्रमों को सरकार कमर्शियल मानती है।

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