हरिद्वार

जिसका कोई नहीं उसका भगवान होता है:
सचिन तिवारी

वो अक्सर अपने घर मे गाली गलौज करता था मारपीट करता था 2 बच्चों का बाप था एक अच्छी सीधी साधी बीवी थी , पूरे परिवार की जिम्मेदारी उस पर थी लेकिन वो कोई काम नहीं करता था , उसकी माँ जो थोड़ा बहुत पेंसन पाती थी उसी से उसका गुज़ारा होता था, वैसे तो उसकी माँ काफी बूढ़ी हो गई थी लेकिन आज भी वो अपने छोटे बेटे के साथ ही रह रही थी बड़ा बेटा बड़े शहर में शिफ़्ट हो गया था जो काफी पैसे वाला भी था और उसने कई बार अपनी माँ से उसके पास आने को बोला लेकिन उसकी माँ थी जो अपने निक्कम्मे छोटे बेटे के साथ ही रहना चाहती थी वो उसे छोड़ने को तैयार नही हो रही थी।
बात तब की है जब मैं अपने एक दोस्त के घर गया था बगल वाले घर से जोर जोर लड़ने की आवाज आ रही थी मुझसे न रहा गया तो मैंने अपने दोस्त से पूछ लिया , उसने यह सारी कहानी मुझे बताई और उसकी बूढ़ी माँ जो बाहर एक टूटी फूटी चारपाई में पड़ी थी उसको दिखाया , उसे देखकर मेरा हृदय द्रवित हो गया और मैं सोचने लगा आखिर जब इसके पास एक बेहतर आप्सन है अपने बड़े बेटे के पास जाने का तब यह यहाँ नर्क में क्यो पड़ी है ।
काफी रिसर्च किया कई स्टोरी पढ़ी उन सब के बाद एक ही चीज़ निष्कर्ष के रूप में निकल रही थी , कि एक माँ हमेशा अपने सबसे कमजोर बेटे को ज्यादा प्यार करती है वो लाख गलतियां कर ले लेकिन माँ उसे हमेशा बचाने का प्रयास करती है , कई लोगों को कहते सुना कि उसकी माँ उसके गलत काम करने पर उसे बचाती क्यो है क्या यह सही है ।
एक विकलांग बेटे का पूरी जिंदगी साथ देती है उसको खिलाती पिलाती है यहाँ तक उसकी साफ सफाई से लेकर हर एक काम करती है , जब उसका बेटा किसी से लड़ता है तो माँ बेटे के गलत होने पर भी उसी का साथ देती है ।
आखिर ऐसा क्यों होता है गलत का साथ देने वाला सही कैसे हो जाता है।
हमेशा एक कहावत सुनते चला आ रहा जिसका कोई नही उसका भगवान होता है , लेकिन इस कहानी का असली मतलब आज समझ आया , असल मे माँ ही वो भगवान होती है ,और माँ हमेशा उसी बेटे का साथ देती है जिसका कोई नहीं होता ।

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