महा कुम्भ 2021हरिद्वार

निरंजनी अखाड़ा की शाही अंदाज में धूमधाम से निकली पेशवाई:देखे वीडियो

मानवता के संरक्षक है श्रीमहंत रविंद्रपुरी : मुख्यमंत्री

सनातन संस्कृति की अद्भुत पहचान है कुंभ : श्रीमहंत रविंद्रपुरी

भाला पूजन और दही, भात व बुरा का प्रसाद ग्रहण कर शुरू हुई पेशवाई

हरिद्वार। कुंभ मेले की पहली पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की भव्य पेशवाई धूमधाम से निकाली गई।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने छावनी पहुंचकर पेशवाई का शुभारंभ किया। उन्होंने कोरोना काल में श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज की ओर से की गई सेवा की जमकर तारीफ की उन्होंने कहा कि

श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज मानवता के संरक्षक हैं। उन्होंने कोरोना काल में जो कार्य किए वह बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय है।
मशहूर बैंड बाजों के साथ विभिन्न मार्गो से पेशवाई निकलते हुए निरंजनी अखाड़ा में पहुंचकर संपन्न हुई।

रास्तों में जगह-जगह पेशवाई का फूल मालाओं से स्वागत किया गया। जबकि हेलीकॉप्टर से भी पुष्प वर्षा कर पेशवाई का अभिनंदन हुआ। पेशवाई को देखने के लिए दूरदराज से लोग पहुंचे। छतों पर चढ़कर भी लोगों ने पेशवाई के दर्शन किए। सभी ने पेशवाई में शामिल संतो को हाथ जोड़कर नमन किया। पेशवाई में जहां देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति दिखाई दी, वहीं कोरोना से बचाव का भी संदेश दिया गया। मेला प्रशासन के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद रही।
एसएमजेएन डिग्री कॉलेज स्थित छावनी से पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई सुबह 10 बजे प्रारंभ हुई। इससे पूर्व अखाड़ा में भाला पूजन और इष्ट देव भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के साथ ही दही भात और बुरे का प्रसाद ग्रहण कर प्रस्थान किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज और पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज एवं अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, आनंद अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी महाराज सहित तमाम संतो ने पूजन के बाद पेशवाई को प्रारंभ कराया। पेशवाई में नासिक का मशहूर बैंड के अलावा पंजाब, सहारनपुर के नामचीन बैंडों में चल रहे श्री राम जी की सेना चली, नगर में जोगी आया, हर-हर महादेव भजनों से पूरी पेशवाई भक्तिमय हो गयी। हेलीकॉप्टरों से पेशवाई पर पुष्प वर्षा की गई। वहीं जगह-जगह लोगों ने छात्रों से फूल बरसाकर भव्य स्वागत किया। पेशवाई में सबसे आगे हाथी, ऊंट रहे, इनके पीछे घोड़े और फिर अखाड़े के बैनर चलते रहे। इनके पीछे ढोल नगाड़े बजते रहे। देवता पालकी के साथ ही नागा सन्यासी करतब दिखाते हुए चल रहे थे। पेशवाई में इससे आकर्षक का केंद्र बन रहा था। आचार्य महामंडलेश्वर के चांदी सिंहासन पर विराजमान थे। इनके पीछे महामंडलेश्वरों की चांदी की रथ चल रही थी। पेशवाई में 50 ट्रैक्टर ट्राली और 30 जीप कार भी शामिल की गयी। एक हैलीकॉप्टर के अलावा दो ग्लाइडर से से फूल बरसाये गये। एसएमजेएन कॉलेज से पेशवाई प्रारंभ होकर चंद्राचार्य चौक पहुंची। यहां शंकर आश्रम होते हुए सिंहद्वार, देशरक्षक तिराहे के बाद कनखल चौक बाजार और पहाड़ी बाजार से होकर शंकराचार्य चौक पहुंची। शंकराचार्य चौक से तुलसी चौक से होकर शिवमूर्ति चौक पहुंची। वाल्मीकि चौक से होते हुए गुजरांवाला भवन के पास से होते हुए पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की छावनी में देर शाम को पहुंचकर संपन्न हुई। इस अवसर पर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि कुम्भ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होता है। पेशवाई के साथ कुंभ प्रारम्भ हो जाता है। कुंभ मेला दिव्य भव्य सकुशल सम्पन्न होगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला भारतीय सनातन संस्कृति की अद्भुत पहचान है। कुंभ मेले में पेशवाई महत्वपूर्ण होती है। 12 वर्ष में कुंभ मेला आयोजित होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पेशवाई और शाही स्नान होते हैं। उन्होंने कहा कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की भव्य पेशवाई निकाली गई। इसमें उत्तराखंड देव भूमि की संस्कृति के साथ ही कोविड-19 से बचाव का संदेश भी दिया गया। पंचायती अखाड़ा श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुंभ में अखाड़ा की पेशवाई निकालने की परंपरा होती है। देशभर से अखाड़ा के महामंडलेश्वर, तमाम साधु संत कुम्भ में पहले नगर प्रवेश करते हैं। उसके बाद पेशवाई में सभी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि पेशवाई शुरू होने के साथ ही कुंभ मिला भी शुरू हो गया है। श्री महंत राम रतन गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व होता है। यह पर्व देश ही नहीं पूरे विश्व का सबसे बड़ा पर्व है। इस अवसर पर श्रीमहंत ओमकार गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्री हरगोविंद पुरी, केशव पुरी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत राधेगिरी, श्रीमहंत नरेश गिरी, आनंद अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती, दिगंबर राकेश गिरी, नीलकंठ गिरी, आनंद गिरि, गंगा गिरि, सुखदेव पुरी, राजेंद्र भारती, बलवीर पुरी, राजेंद्र गिरी, उमेश गिरी, मुख्तियार रघुवन, रतन गिरी सहित सैकड़ों संत महात्मा उपस्थित रहे।

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