उत्तराखंडहरिद्वार

वेदों के ज्ञान का प्रकाश ही भारत को विश्व गुरु बनाएगा, दयानंद के विचारों को घर-घर पहुंचाना डीएवी का उद्देश्य है:डॉक्टर पूनम सूरी

महात्मा हंसराज जी के पावन जन्मोत्सव के उपलक्ष में आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा एवं डीएवी प्रबंधकरणी समिति के द्वारा डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर में समर्पण दिवस का आयोजन भव्यता और दिव्यता के साथ सकुशल संपन्न हुआ। स्कूल में आयोजित वैदिक महा कुम्भ में दस हजार से अधिक गणमान्यों की गौरवमयी उपस्थिति ने स्वामी दयानंद के विचारों को आत्मसात कर वेदों के प्रचार का संकल्प लिया ।



इस अवसर पर आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा एवं डीएवी प्रबंधकत्र्री समिति के प्रधान पद्मश्री डॉ. पूनम सूरी, डीएवी काॅलेज प्रबन्धकरणी समिति के उपप्रधान, निदेशक, क्षेत्रीय निदेशक, देश के विभिन्न राज्यों से आए 948 से अधिक डीएवी शिक्षण संस्थानों के प्रधानाचार्य तथा गणमान्य लोग उपस्थित रहे।



अक्षय तृतीया के पर्व पर वैदिक यज्ञ के साथ महात्मा हंसराज जी के पावन जन्मोत्सव के कार्यक्रम का आगाज हुआ ।

आर्य रत्न, प्रधान आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा एवं डीएवी प्रबंधकत्र्री समिति, पद्मश्री डाॅ0 पूनम सूरी तथा उनकी पत्नी मणि सूरी का माल्यार्पण कर और पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया । तत्पश्चात् उन्होने यजमान के पद पर आसीन होकर यज्ञ ज्योति को प्रकाशित किया ।

असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ। डीएवी हरिद्वार, डीएवी देहरादून तथा बी.एम. डीएवी हरिद्वार के अध्यापक एवं अध्यापिकाओं ने ‘चमका जहाँ में तू बनकर अटल सितारा’ भजन प्रस्तुत किया। समस्त जनसमूह ने डीएवी गान, डीएवी जय-जय के सुर में सुर मिलाए।



डाॅ0 सूरी ने उपस्थित सन्यासियो स्वामी विवेकानन्द , स्वामी चित्तेश्वरानन्द, स्वामी केवलानन्द, स्वामी सच्चिदानन्द, स्वामी मुक्तानन्द, स्वामी प्रकाशानन्द, स्वामी गणेशानन्द, साध्वी वेदप्रिया, स्वामी आर्षदेव, स्वामी ब्रह्मचारी गणनाथ नैष्ेिंठक, विद्वानो डाॅ0 प्रशस्य मित्र, डाॅ0 विनय वेदालंकार, डाॅ0 वीरेन्द्र अलंकार, पं0 विश्वामित्र आर्य, डाॅ0 दिलीप जिज्ञांसु, आचार्य करमवीर, सत्येन्द्र जी परिव्राजक, सुश्री कंचन आर्या, अचार्या मैत्रेयी, अचार्य वेदाकर तथा सभी गणमान्य लोगो का समृद्धि सूचक पौधा , स्मृतिचिह्न तथा सम्मान राशि देकर सम्मानित किया।



उक्त कार्यक्रम में सोमनाथ सचदेवा, कुलपति कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं महामंत्री महासचिव आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा, नई दिल्ली, विनय आर्या को को विशिष्ट सम्मान से सम्मानित कर उन्हें शाॅल एवं प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया।

डीएवी विद्यालयों के प्रधानाचार्य प्रो0 रमा शर्मा, सिम्मी जुनेजा, समीक्षा शर्मा एवं अरूण आर्या को शिक्षा तथा सामाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें विशिष्ट सम्मान स्वरूप शाॅल, प्रशस्ति पत्र एवं मेडल से सम्मानित किया गया।



डॉ0 पूनम सूरी ने “हे प्रभु दुर्गुण मेरे हर लीजिए” भजन के माध्यम से ईश्वर से दुर्गुणों को दूर कर शुभ गुण देने की प्रार्थना की।

डाॅ0 सूरी ने समस्त जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि वेदों के ज्ञान का प्रकाश ही भारत को विश्व गुरु बनाएगा, दयानंद के विचारों को घर-घर पहुंचाना डीएवी का उद्देश्य है। उन्होने कहा कि डीएवी संस्था शिक्षा, संस्कृति व संस्कारों को देने का कार्य कर रही है और वैदिक मूल्यों को डीएवी वैदिक मूल्यों को साथ लेकर चलती है। विद्या पर धर्म का अंकुश नहीं होना चाहिए। योगाभ्यास के साथ वेद प्रचार का काम अनवरत जारी रहना चाहिए। भारत को विश्व गुरु बनाने में भारतीय संस्कृति और संस्कारों को देने का कार्य डीएवी कर रहा है। जब तक आर्य समाज के सिद्धांतों और विचारों को युवा पीढ़ी को नहीं देंगे तब तक हमारा देश सोने की चिड़िया नहीं बन सकता। वेद के माध्यम से हम वायुयान बना सकते हैं लेकिन हमारा मकसद लोगो के चरित्र को उज्ज्वल बनाना है ।

धर्म कोई संप्रदाय नहीं है, धर्म कर्तव्य है नियम है, बच्चों को कर्तव्य का ज्ञान दो ताकि वह राष्ट्र निर्माण में और भारत को विश्व गुरु बनाने में अपना योगदान दे सकें। डीएवी का हर शिक्षक धर्म शिक्षक है। तप का असली अर्थ है – हर हाल में गरीबी- अमीरी, आंधी और तूफान में कर्म करना। यज्ञ तथा वेद प्रचार का कार्य अनवरत जारी रहना चाहिए। डीएवी संस्था के प्रधानाचार्य कर्म कर रहे हैं तभी डीएवी संस्थाएं राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उक्त वक्तव्य देते हुए डॉ. पूनम सूरी जी ने दर्शकों को संबोधित किया। महात्मा हंसराज जी द्वारा किराए के दो कमरों से शुरू हुए डीएवी के कार्य की पताका आज पूरे विश्व में लहरा रही है। इस अवसर पर आर्य जगत और आर्य हेरिटेज पुस्तको का विमोचन विमोचन भी किया गया।

प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, कुलपति, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं श्री विनय आर्य महासचिव आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली को विशिष्ट सम्मान से अलंकृत किया गया। स्वामी विवेकानंद सरस्वती जी कुलाधिपति गुरुकुल प्रभात आश्रम, मेरठ ने अपने आशीर्वचनों की वर्षा की।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण महात्मा हंसराज जी के जीवन चरित्र को उभारता तात्कालिक परिस्थितियों के बीच देशभक्ति की भावना के साथ-साथ एक सुदृढ़समाज तथा सुदृढ़ संकल्प व समर्पण भाव की नींव रखता कार्यक्रम, सांस्कृतिक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। इस नाटिका को डीएवी हरिद्वार, डीएवी देहरादून व बीएम डीएवी, हरिद्वार के 1000 विद्यार्थियों ने मंच पर एक साथ उत्साहपूर्वक प्रस्तुत किया। इसमें महात्मा हंसराज जी के जीवन संघर्ष, सामाजिक सेवा, देशभक्ति और स्वामी दयानंद जी के सपनों को साकार करने के लिए महात्मा जी के समर्पण एवं त्याग को प्रस्तुत किया गया।

नृत्य और नाट्य का ऐसा सुंदर सामंजस्य छः मंचों पर एकसाथ प्रदर्शित किया गया। हरिद्वारवासियों के लिए महात्मा हंसराज समर्पण दिवस के भव्य आयोजन को देखने का यह पहला सुनहरा अवसर था। कार्यक्रम की भव्यता ने दर्शकों को इतना मंत्रमुग्ध कर दिया कि 10000 लोगो की सभा में सन्नाटा छा गया। इस कार्यक्रम के अंत में तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा परिसर गूंज उठा। इसके बाद हुई आतिशबाजी ने सम्पर्ण नभ को प्रकाशित और गुँजायमान कर कार्यक्रम में चार-चांद लगा दिए जिसे देखकर सभी उपस्थितजन स्तब्ध एवं अचम्भित रह गए। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।

सभी प्रतिष्ठित अतिथियों और अभिभावकों ने शानदार रात्रिभोज का आनंद लिया। सभी ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी सराहना की।

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