
– अखिल भारतीय सनातन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा बोले इस विषय पर जल्दबाजी ठीक नहीं
हरिद्वार: सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक संबंधों की मान्यता से जुड़ी याचिकाओं को लेकर धर्म जगत में भी बड़ी बहस शुरू हो गई है।

अखिल भारतीय सनातन परिषद अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री पुरषोत्तम शर्मा ने कहा है कि इस सम्बंध में कोई भी फैसला सुनाने से पहले सुप्रीम कोर्ट को धर्माचार्यों की राय भी लेनी चाहिए। साथ ही चिंता भी जताई है कि यदि समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता मिलती है तो समाज में विघटन और नैतिक पतन की स्थितियां पैदा होंगी।

मीडिया को जारी बयान में अखिल भारतीय सनातन परिषद के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले, माननीय सर्वोच्च न्यायालय को एक समिति बनाकर धर्मगुरुओं, चिकित्सा क्षेत्र के लोगों, सामाजिक वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की राय लेनी चाहिए थी।” उन्होंने कहा कि विवाह का विषय विभिन्न नागरिक संहिताओं द्वारा शासित होता है। इस मामले में जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। भारत पूरे विश्व में सनातन संस्कृति की अगुवाई करता है और समलैंगिक संबंधों से जुड़ा यह मामला हमारी संस्कृति के विपरीत है। देश की आत्मा सनातन धर्म से जुड़ी है। जिसमें समलैंगिकता के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे व्यभिचार को बढ़ावा मिलेगा। धार्मिक क्षेत्र में विवाह का पहला स्थान है। यह हमारे अधिकार क्षेत्र का मामला है, अदालत का नहीं। समलैंगिकता पशुता की ओर ले जाएगी, यह प्रकृति के खिलाफ है।

अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि इस तरह की कुरीतियां युवाओं को पश्चिमी सभ्यता की ओर ले जाएंगे जिससे देश की संस्कृति और अखंडता को भी खतरा पैदा हो सकता है।