महा कुम्भ 2021हरिद्वार

कुंभ में कथा प्रवचन की दी जाए अनुमति : श्रीमहंत नरेंद्र गिरी

शाही स्नान पर उमड़ी भीड़ से स्पष्ट हुआ विस्तार ले रहा कुंभ मेला : श्रीमहंत रविंद्रपुरी

महाकुंभ मेला संत महापुरूषों के सानिध्य में और सरकार के सहयोग से सकुशल संपन्न होगा: महंत बालकनाथ

हरिद्वार।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने मंत्री मण्डल के गठन पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को बधाई देते हुए मांग की कि कुंभ के दौरान अखाड़ों, महामण्डलेश्वरों व संत महापुरूषों को टेंट, पूजा पण्डाल लगाकर कथा प्रवचन करने की अनुमति दी जाए। पूरे मेला क्षेत्र में बिजली, पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था की जाए। सड़कों व पुलों के अधूरे कार्यो को जल्द पूरा कराया जाए। जिससे कुंभ मेला अपने परंपरागत स्वरूप में संपन्न हो सके।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव एवं कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला कमरों में नहीं बल्कि खुले मैदानों में होता है। शिवरात्रि को संपन्न हुए सन्यासी अखाड़ों के पहले शाही स्नान पर जिस प्रकार लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त गंगा स्नान व संतों के दर्शनों के लिए हरिद्वार पहुंचे। उससे स्पष्ट है कि कुंभ मेला विस्तार ले रहा है। आगे होने वाले शाही स्नानों पर और अधिक संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आएंगे। इसलिए मुख्यमंत्री को कुंभ के संबंध में अधिकारियों की सलाह के बजाए अपने विवेक व पंरपरांओं के अनुसार निर्णय लेते हुए सभी प्रतिबंध हटाकर अखाड़ों व संतों को जमीन आवंटन कर सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। जिससे कुंभ मेला दिव्य व भव्य रूप में संपन्न हो सके। राजस्थान के अलवर से भाजपा सांसद महंत बालकनाथ महाराज ने कहा कि महाकुंभ मेला संत महापुरूषों के सानिध्य में और सरकार के सहयोग से सकुशल संपन्न होगा। क्योंकि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सनातन धर्म प्रेमी व कुशल प्रशासक हैं। पहले शाही स्नान पर उन्होंने जिस प्रकार पुष्पवर्षा कर संतों का स्वगात किया वह अपने आप में एक अच्छी पहल है। इस दौरान निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह वेदांताचार्य महाराज ने कहा कि संतों का आशीर्वाद प्रदेश के नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ है। संत समाज को पूरी आशा है कि तीरथ सिंह रावत यूपी की योगी सरकार की तर्ज पर हरिद्वार कुंभ को दिव्य व भव्य रूप से संपन्न कराएंगे। इस दौरान निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज, निर्मल अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह, पूर्व सचिव महंत बलवंत सिंह, महंत केशवपुरी, महंत राधे गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, महंत लखन गिरी आदि संतजन भी मौजूद रहे।

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