हरिद्वार

पतंजलि व्यापार नहीं उपचार और उपकार करते हुए राष्ट्र उद्धार कर रहा है:योगगुरु रामदेव

पतंजलि में राष्ट्रहित सर्वोपरि मंत्र के साथ मनाया गया 75वाँ स्वतंत्रता दिवस

देश निर्माण व राष्ट्र रक्षा के लिए जीवन दान से बड़ा कोई योगदान नहीं:बालकृष्ण

कई ओलंपिक पदक विजेता पतंजलि आयुर्वेद व पतंजलि रुचि सोया के उत्पादों के ब्रांड एम्बेसेडर बनाए जायेंगे: पूज्य स्वामी जी महाराज

हम यह सोचें कि देशहित व राष्ट्र निर्माण के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं

हरिद्वार, 15 अगस्त। पतंजलि योगपीठ के स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ के विभिन्न परिसरों में ध्वजारोहण कर संपूर्ण स्वाधीनता की संकल्पना के साथ देशवासियों को 75वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ-। के प्रांगण से ध्वजारोहण के पश्चात स्वामी रामदेव ने कहा कि हम आजादी के इस अमृत महोत्सव में पतंजलि योगपीठ की ओर से तीन सौगात देश को देना चाहते हैं। सबसे पहले हम इस देश को आर्थिक लूट की गुलामी से बचाने के लिए विदेशी कम्पनियों को परास्त करेंगे। इस लक्ष्य की प्राप्ति में हम केवल एक पायदान पीछे हैं।

मात्र हिन्दुस्तान यूनिलीवर ही एफ.एम.सी.जी. क्षेत्र में हमसे आगे है। स्वामी रामदेव ने कहा कि आने वाले तीन से अधिकतम पाँच वर्षों में हम हिन्दुस्तान यूनिलीवर को पछाड़कर देश ही नहीं पूरी दुनिया के सबसे बड़े ब्रांड होंगे। यूनिलीवर का 5 लाख करोड़ का मार्केट कैप है, विदेशी कम्पनीयाँ देेश को लूट रही है किन्तु दुर्भाग्य है कि कोई इसकी चर्चा तक नहीं करता और पतंजलि इसका डटकर सामना कर रही तो को कहते हैं कि पतंजलि व्यापार कर रहा है। उन्होंने कहा कि पतंजलि व्यापार नहीं उपचार और उपकार करते हुए राष्ट्र उद्धार कर रहा है, और करता रहेगा। इस देश को आर्थिक लूट और गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए अब यूनिलीवर नहीं, पतंजलि और रुचि सोया को दुनिया का नम्बर-वन ब्रांड बनाना है। यह देश को हमारी पहली आहुति है।


स्वामी रामदेव ने कहा कि 1835 में मैकाले इण्डियन एजूकेशन एक्ट बनाकर गया जिसने हमारी अध्यात्म व धर्म आधारित शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। हम भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज और आचार्यकुलम् के माध्यम से मैकाले की शिक्षा पद्धति समाप्त कर भारतीय शिक्षा व्यवस्था की प्रतिष्ठा करेंगे और यह हमारी दूसरी आहुति होगी।


देश की चिकित्सकीय व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज इस देश में मैडिकल टैरिरिज्म, मैडिकल अनार्की फैल रहा है। इससे देश को मुक्ति दिलाने के लिए पतंजलि बहुत बड़ा कार्य करेगा और इस राष्ट्र को चिकित्सा की दृष्टि से आजादी दिलाएगा। योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा भारत की राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति होगी। डब्लू.एच.ओ. माने या न माने, भारत के 135 करोड़ लोगों में हम भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रति जज्बा जगाएँगे। यह हमारी देश के प्रति तीसरी आहुति होगी।



ओलंपिक खेलों में पदक विजेताओं को बधाई देते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि आने वाले समय में कई पदक विजेता विख्वविख्यात पतंजलि आयुर्वेद व पतंजलि रुचि सोया के उत्पादों के ब्रांड एम्बेसेडर बनाए जायेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी ओलंपिक खेलों में पतंजलि के खिलाड़ी भी सहभागिता करते नजर आयेंगे।


कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम उन वीर वीरांगनाओं को नमन करते हैं जिनके तप, त्याग व बलिदान ने देश को आजादी दिलाई। उन्होंने कहा कि पतंजलि किसी भवन या स्थान का नाम नहीं अपितु उस भवन में रहकर अहर्निश अपनी ऊर्जा, शक्ति, सामर्थ्य से इस राष्ट्र निर्माण के लिए, देश के सृजन के लिए, देश को विश्वगुरु बनाने के लिए लगी एक संयुक्त टीम है। पतंजलि नाम है सृजन का, कुछ नया कर दिखाने का, हमारे वीर-शहीद क्रांतिकारियों के स्वप्नों को साकार करने का। इतिहास गवाह है कि बड़े-बड़े सृजन के कार्य बाधाओं और विपत्तियों के बीच हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों-लाखों वीर-शहीदों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दे दीं। उन्होंने यह नहीं सोचा कि हमारा क्या होगा, उन्होंने सोचा कि देश का क्या होगा। देश के गद्दार षड्यंत्र कर देश की बरबादी के लिए लगे रहे और देशभक्तों ने देश के लिए स्वयं को कुर्बान कर दिया। वीर शहीदों को याद करते हुए हम यह सोचें कि इस देश की उन्नति के लिए, राष्ट्र निर्माण के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं। हम सब राष्ट्र निर्माण, संस्कृति संरक्षण व आत्म कल्याण के मार्ग पर आरूढ़ हैं। हम जिस भी सेवा में हैं, अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें।
कोरोनाकाल में पूरा विश्व जब एक वायरस के सामने नतमस्तक था तब पतंजलि योगपीठ ने अनुसंधान कर कोरोनिल का निर्माण किया और करोड़ों लोगों को काल का ग्रास बनने से बचाया। यदि यही कार्य किसी अन्य देश के द्वारा किया जाता तो शायद वहाँ उत्सव व उत्साह होता पर यहाँ के कुछ गद्दारों को कोरोनिल की प्रामाणिकता हजम नहीं हुई। कोरोनिल के खिलाफ इस देश में हजारों षड्यंत्र किए गए, पतंजलि के खिलाफ नकारात्मकता फैलाने का प्रयास किया गया। अंत में सत्य की जीत हुई और विरोधियों को मुँह की खानी पड़ी। विपरीत परिस्थितियों में भी पतंजलि ऐसे ही राष्ट्र निर्माण का कार्य करता रहेगा।
पतंजलि गुरुकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय व पतंजलि अनुसंधान संस्थान के छात्र- छात्राओं व वैज्ञानिकों ने देशभक्ति से ओतप्रोत विभिन्न प्रस्तुतियाँ दीं। कार्यक्रम में श्री एन.पी. सिंह, प्रो. महावीर जी, साध्वी देवप्रिया, श्री ललित मोहन, बहन अंशुल, बहन पारूल, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डॉ. जयदीप आर्य, भाई राकेश, स्वामी परमार्थ देव सहित पतंजलि योगपीठ के विभिन्न प्रकल्पों में कार्यरत समस्त अधिकारी, कर्मयोगीगण, प्राध्यापकगण, छात्र- छात्राएँ, साधु भाई व संन्यासिनी बहनें तथा वानप्रस्थी उपस्थित रहे।

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