
हरिद्वार।
कानून-व्यवस्था को लेकर आमतौर पर नागरिकों में अंधविश्वास व अफवाह जैसे शब्दों से बचने की नसीहत देने वाली पुलिस खुद अंधविश्वास में यकीन करती है। अंग्रेजों के शासन के समय से जिले में एक अंधविश्वास आज भी चला आ रहा है। पुलिस विभाग में माना जाता है कि नए वर्ष से शुरू होने वाले अपराध रजिस्टर के अपराध क्रमांक संख्या एक की शुरुआत अगर आइपीसी के संगीन मुकदमे से होती है, तो अपराध की बाढ़ आ जाएगी।

थानेदार की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी।अंधविश्वास की वजह से अपराध क्रमांक एक की शुरुआत गुडवर्क का मुकदमा दर्ज करने से होता है। आमतौर से सीआरपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसी के चलते एक जनवरी को लगभग सभी थानों में अपराध क्रमांक संख्या एक पर एक्ट का ही मुकदमा पंजीकृत करने का पूरा प्रयास होता है। हालांकि पुलिस के अफसर सीधे तौर स्वीकार नहीं करते, ताकि इसे लेकर कोई नकारात्मक संदेश लोगों में न जाए।ईसी एक्ट, एक्साइज एक्ट, एमबी एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंम्बलिंग एक्ट, पुलिस एक्ट, सिनेमा एक्ट, मनोरंजन एक्ट प्रमुख हैं। इसे पुलिस भारतीय दंड विधान के मुकाबले छोटा मानती है। एक तरह से ये मुकदमे अपराध की गिनती में शामिल भी नहीं किए जाते। उच्चाधिकारी या शासन को जब थानेवार अपराध का विवरण भेजा जाता है तो एक्ट अर्थात अधिनियम के इन मुकदमों की सूची अलग होती है।