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पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की पहचान बन चुका योग: श्रीमहंत रविंद्र पुरी



– अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर भक्त-श्रद्धालुओं को दिया संदेश, अपनाएं योग-रहें निरोग


हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट हरिद्वार श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि जब से सभ्‍यता शुरू हुई है, तभी से योग किया जा रहा है। योग विद्या में शिव को “आदि योगी” व “आदि गुरू” माना जाता है। आज पूरा विश्व योग की शक्ति को पहचानते हुए भारत भूमि को नमन कर रहा है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में सभी से योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की अपील की।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर भक्त श्रद्धालुओं को संदेश देते हुए श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतञ्जलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। इस रूप को ही आगे चलकर सिद्धपंथ, शैवपंथ, नाथपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से विस्तार दिया। योग से सम्बन्धित सबसे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त हुई वस्तुओं से मिलते हैं। शारीरिक मुद्राएं और आसन उस काल में योग के अस्तित्व के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। योग का वर्णन सर्वप्रथम वेदों में मिलता है और वेद सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है। योग की शुरुआत भारत में हुई थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया।

ऋषि-मुनियों की धरती से निकला योग प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रयासों से आज पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की पहचान बन चुका है। योगनगरी ऋषिकेश में योग और अध्यात्म के प्रेमियों की हर सुख सुविधा को लेकर प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद सजग हैं। श्रीमहंत ने कहा कि हमें विश्व योग दिवस पर योग को अपने नियमित दिनचर्या में शामिल करते हुए और रोगों को दूर भगाने और स्वस्थ जीवन अपनाने का संकल्प लेना चाहिए।
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