

हरिद्वार।संदीप शर्मा
हरिद्वार।
देवी के उपासकों का इंतजार गुरुवार को खत्म होगा और माता रानी डोली पर सवार होकर भक्तों के घर दर्शन देने आएंगी। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि के पावन मौके पर देवी मां अपने दिव्य लोक से पृथ्वी पर आएंगी और विधि विधान से उनकी उपासना करने वाले भक्तों को मनचाहा वरदान देंगी। चतुर्थी तिथि का क्षय होने के कारण इस बार नवरात्र आठ दिन के ही होंगे और 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक चलेंगे।

आठ दिन की पूजा के बाद नवें दिन होगा विसर्जन
निरंजनी अखाड़े के सचिव व मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी महाराज ने बताया कि इस साल शारदीय नवरात्रि में 8 दिन की पूजा के बाद नवें दिन विसर्जन का योग बन रहा है। क्योंकि चतुर्थी तिथि का क्षय हो रहा है। इस साल पितृ पक्ष में एक दिन की वृद्धि हुई, जिसके कारण नवरात्रि नौ की बजाय आठ ही दिन तक मनाई जाएगी। इसका दूसरा कारण यह है कि इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ रही हैं। अतः दशहरा पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

चार दिन तक रहेगा रवि योग, देगा शुभ फल
निरंजनी अखाड़े के सचिव व मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी महाराज ने बताया कि नवरात्र में खरीदारी सहित सभी कार्य विशेष शुभ माने जाते हैं। लेकिन इस बार ग्रह, नक्षत्रों के मेल से कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो नवरात्रि को और भी शुभ बना रहे हैं। नवरात्र में 4 दिनों तक रवि योग का संयोग रहेगा। शुभ कार्यों के लिए यह योग काफी शुभ माना गया है।
अभिजीत मूहूर्त में की जाएगी घट स्थापना
नवरात्र की शुरुआत चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में होगी। इसलिए घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में करना श्रेष्ठ रहेगा। घट स्थापना मुहूर्त 7 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक और अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के बीच है। जो लोग इस शुभ योग में कलश स्थापना न कर पाएं, वे दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक लाभ का चौघड़िया में और 1 बजकर 42 मिनट से शाम 3 बजकर 9 मिनट तक अमृत के चौघड़िया में कलश-पूजन कर सकते हैं।
बन रहे हैं कई शुभ संयोग
नवरात्र में चार बार रवि योग बन रहा है, यह योग उन्नति और समृद्धि देता है। शारदीय नवरात्र की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में होगी। नवमी पर भी सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग रहेगा। नवरात्र में भवन, भूमि, वाहन, आभूषण, वस्त्र, रत्न सहित सभी प्रकार की खरीदारी करना शुभता प्रदान करता है। इसी प्रकार नवीन कार्यों की शुरुआत करना भी इसमें श्रेष्ठ होता है। इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ होने से चंद्रघण्टा माता और कुष्मांडा माता की आराधना एक साथ होगी।
मां का डोली में आना शुभ संकेत नहीं
निरंजनी अखाड़े के सचिव व मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी महाराज के अनुसार नवरात्रि में माता के वाहन का भी बड़ा महत्व रहता है। देवी भागवत पुराण में श्लोक है कि शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता। गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्। के अनुसार गुरुवार को नवरात्रि आरंभ होने के कारण इस बार माता डोली में आ रही हैं। डोली में माता का आगमन देश दुनिया और आमजनों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। माता के डोली में आगमन से पृथ्वी के कई हिस्सों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी।