सनातन धर्म को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना ही संतों का उद्देश्य-श्रीमहंत रघुमुनि
हरिद्वार, 11 अक्टूबर। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म को सर्वोच्च शिखर पर ले जाना ही संतों का उद्देश्य है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज का मार्गदर्शन कर राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की है। महंत जमना दास महाराज विद्वान एवं तपस्वी महापुरुष हैं। जो सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में निरंतर अपना सहयोग सुनिश्चित करेंगे। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में डेरा गुरु ग्रंथ साहिब समाध गुरबख्श दास अवधूत पिंड ठुलीवाल बरनाला पंजाब के महंत लखविंदर दास महाराज के शिष्य महंत जमना दास महाराज के तिलक चादर एवं महंताई समारोह को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा कि महंत लखविंदर दास महाराज का अनुभव और उनकी त्याग तपस्या विश्व विख्यात है। महंत जमना दास महाराज उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर उनके द्वारा संचालित कार्यों में निरंतर बढ़ोतरी करेंगे। ऐसी संत समाज को आशा है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। महंत जमना दास महाराज युवा संत हैं और उनका जीवन निर्मल जल के समान स्वच्छ एवं पवित्र है। उनके अखाड़े में शामिल होने से अखाड़े को एक नई ऊर्जा प्राप्त होगी। संत महापुरुष अपने तपो बल से समाज को ज्ञान की प्रेरणा देते हैं और महापुरुषों की प्रेरणा से ही भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म जीवंत है। महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप एवं श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारत को विश्व भर में महान बनाती है और हम बड़े ही सौभाग्यशाली हैं जो हमें अपने गुरु का आसरा प्राप्त हुआ है। संत समाज महंत जमना दास महाराज के उज्जवल भविष्य की कामना करता है। नवनियुक्त महंत जमना दास महाराज ने कहा कि जो दायित्व संत समाज द्वारा उन्हें सौंपा गया है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे। सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार भारत ही नहीं पूरे विश्व में करना उनका मूल उद्देश्य होगा। उन्होंने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन प्राचीन काल से ही समाज सेवा में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करता रहा है। वह सौभाग्यशाली है कि उन्हें अखाड़े में तपस्वी संत महापुरुषों का सानिध्य प्राप्त होगा। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, महंत कमलदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत राघवेंद्र दास, महंत शिवानंद, महंत निरंजनी दास, महंत राजेंद्र दास, महंत महेश मुनि, महंत कृष्ण पुरी, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह, महंत शांतानंद, महंत सेवादास, महंत शंकरानंद, महंत गंगादास, महंत विनोद गिरी, महंत दुर्गादास, महंत विष्णु दास, महंत हनुमान बाबा, महंत सुरेश मुनि, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत दिनेश दास, महंत दर्शनदास, महंत प्रेमदास, महंत शांतानंद सहित बड़ी संख्या में संत व श्रद्धालु उपस्थित रहे।