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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने संतों के संग चरण पादुका मंदिर में खेली होली


जीवन की एकरसता को दूर कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं होली के रंग:श्रीमहंत रविन्द्रपुरी

सुशील चौहान


हरिद्वार, 26 मार्च। धर्मनगरी हरिद्वार में रंगों का त्योहार होली उल्लास व उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं और युवाओं ने खूब अबीर गुलाल उड़ाया और जमकर होली खेली। होली के उल्लास से संत भी अछूते नहीं रहे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज के संयोजन में निरंजनी अखाड़े में चरण पादुका मंदिर में आयोजित होली मिलन समारोह में संतों ने एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी और राष्ट्र की खुशहाली की कामना की।

कार्यक्रम में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, आह्वान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरूण गिरी, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी, निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, हनुमान घाट हनुमान मंदिर के महंत स्वामी रवि पुरी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद सहित अखाड़े के संतों ने होली खेलें मशाने मे, नगर में जोगी आया आदि गीतों पर जमकर झूमे।


इस अवसर पर सभी को होली की शुभकामनाएं देते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि विविधता पूर्ण संस्कृति वाले देश भारत मे पर्वों का विशेष महत्व है। त्योहार भारतीय जीवनशैली का अभिन्न अंग हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत और प्रेम व सोहार्द के पर्व होली के रंग जीवन की एकरसता को दूर कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। प्रेम, एकता और सोहार्द के साथ देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। सभी का जीवन मंगलमय हो। संत समाज ऐसी कामना करता है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही त्योहारों को मनाना चाहिए।


आह्वान अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरूण गिरी महाराज ने कहा कि पर्व सनातन संस्कृति की छवि को अनूठे रूप में प्रस्तुत करते हैं। होली सभी को आपस में जोड़ने वाला पर्व है। भारत माता मंदिर के महंत एवं निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि रंगों उमंगों व उल्लास का पर्व होली देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करता है। स्वामी ऋषिश्वरानंद एवं स्वामी आदि योगी ने कहा कि होली ऐसा पर्व है जो धर्म, संप्रदाय ओर जाति बंधनों को तोड़कर लोगों को एक दूसरे के करीब लाता है।

इस दौरान स्वामी रविपुरी, स्वामी राजपुरी, अनिल शर्मा, भोला शर्मा, प्रदीप शर्मा सहित कई संत व भक्त शामिल रहे।

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