शिक्षा

घरेलू कार्यों के लिये महिलाओं को मिले मौद्रिक सम्मान: डाॅ. बत्रा



‘महिला सम्मान हेतु परिवारिक सम्मान आर्थिक कोष का निर्माण होना आवश्यक’
‘महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन’ विषय पर किया गया परिचर्चा का आयोजन
‘बेटी बचाओे, बेटी पढ़ाओं और बेटी को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाओ’
हरिद्वार 03 नवम्बर, 2020 । स्थानीय एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज में आज करवाचौथ की पूर्व संध्या पर ‘महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें अनेक छात्र-छात्राओं आस्था भट्ट, अनिल कटारियाल, रूपाली, आशा भट्ट, साक्षी अग्रवाल, शशि, संजीव कुमार, साहिबा वाधवा, सौम्या आदि ने उत्साहपूर्वक आॅनलाईन प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि हमारे देश में ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमयन्ते तत्र देवता’ की परम्परा है। स्त्री पूजनीय है, महिला को वह सम्मान अवश्य मिलना चाहिए जिसकी वह अधिकारी है तथा आर्थिक स्वायत्तता एवं सम्मान हेतु ‘बेटी बचाओे, बेटी पढ़ाओं और बेटी को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाओ’, नारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हाउस वाईफ के स्थान पर ‘फैमिली मैनेजर’ के पदनाम से सम्बोधित किया जाना चाहिए। डाॅ. बत्रा ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में स्त्री धन को दिवालिया घोषित होने पर भी अन्य सम्पत्तियों में इसको अटैच नहीं किया जा सकता।
साथ ही महिलाओं के सम्मान एवं स्वतंत्रता के लिए घरेलू रूप से कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन अत्यन्त आवश्यक है इसके लिए शीघ्र ही प्रभावशाली प्रयत्न किये जाने चाहिए, यह प्रयास अर्थव्यवस्था एवं पारिवारिक मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है। डाॅ. बत्रा ने कहा कि महिला समानता व महिला सम्मान हेतु परिवारिक सम्मान आर्थिक कोष का निर्माण होना आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने विभिन्न संकायों के प्राध्यापकों को इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया। अपने संचालकीय सम्बोधन में उन्होेंने कहा कि यह समय तथा वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की महती आवश्यकता है कि महिलाओं के घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।
मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक ने आॅनलाईन जुड़ते हुए बताया कि पारम्परिक व्यवस्था में परिवर्तन होने की वर्तमान में आवश्यकता है तथा महिला सम्मान एवं समानता के लिए मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए, यह महिला हित में एक सकारात्मक प्रयास सिद्ध होगा।
अंग्रेजी विभागाध्यक्ष ने डाॅ. नलिनी जैन ने अपने सम्बोधन में कहा कि महिला के भावप्रद कार्य एवं सहयोग अमूल्य है जिनका मूल्याकंन आर्थिक रूप से करना सम्भव नहीं है।
रा.स.यो. संयोजिका डाॅ. सुषमा नयाल ने कहा कि महिलाओं का घरेलू अवैतनिक कार्यों का मूल्याकंन सामाजिक आवश्यकता हो चुकी है क्योंकि घरेलू महिला असमानता को समान स्थिति एवं महिला सुदृढ़ता हेतु अवैतनिक कार्यों का मूल्याकंन नितान्त आवश्यक है।
समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य ने कहा कि यद्यपि श्रम विभाजन समय की आवश्यकता है, किन्तु महिलाओं का सहयोग का कार्य इस प्रकार भावनात्मक हैं कि उनकी सेवाओं का आर्थिक मूल्याकंन सम्भव ही नहीं है।
राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने कहा कि लैंगिक समानता तथा आर्थिक सहायता को पृथक करके नहीं देखा जा सकता। अतः यह प्रश्न ही नहीं है कि घरेलू कार्यों का मौद्रिक मूल्याकंन होना चाहिए अथवा नहीं, अपितु इससे भी आगे बढ़कर घरेलू महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा के लिए राज्य अथवा समाज द्वारा एक आर्थिक कोष निर्मित किया जाये।
इस अवसर पर डाॅ. अमिता श्रीवास्तव, डाॅ. पदमावती तनेजा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, डाॅ. कुसुम नेगी, डाॅ. विनीता चैहान, दिव्यांश शर्मा, डाॅ. सरोज शर्मा, अंकित अग्रवाल, पंकज यादव, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, विनीत सक्सेना, नेहा सिद्दकी, नेहा गुप्ता, कु. मेहुल, मोहन चन्द्र पाण्डेय आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम आॅफलाईन एवं आॅनलाईन दोनों प्रकार से आयोजित किया गया।

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