
हरिद्वार/ जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों की शीतकालीन धार्मिक यात्रा के लिए नमामि गंगा घाट पर गंगा पूजन किया। पिछले तीन वर्ष से लगातार शंकराचार्य शीतकालीन धार्मिक यात्रा पर जा रहे हैं। शुक्रवार की सुबह शंकराचार्य अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर निकलेंगे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जैसे ग्रीष्मकालीन यात्रा होती है उसी प्रकार भगवान के दर्शन शीतकाल में भी किए जा सकते हैं। सरकार भी इस यात्रा का महत्व समझ रही है। इससे जनता में संदेश जाएगा और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। श्रद्धालुओं को गर्मी सर्दी की परवाह किए बिना भगवान के दर्शन करने चाहिए। इसका भी एक अलग अनुभव है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2027 का कुंभ नहीं इसे विक्रम संवत 2084 का कुंभ कहा जाए। कुंभ घड़े को कहते हैं और इस घड़े में पुण्य का संग्रह है। इसके लिए पूरी दुनियां में लोगों का आह्वान किया जाए। हरिद्वार का कुंभ दुर्लभ है इसका सभी को लाभ लेना चाहिए।
अयोध्या स्थित राम मंदिर में धर्म ध्वजा स्थापित पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि धर्म ध्वजा को जूते पहनकर स्थापित किया गया है। यह बहुत गलत किया गया है। सनातन के विपरीत कार्यों से मन दुखी होता है। यह जांच का विषय है और जिन्हें धर्म के विषय की जानकारी नहीं उन्हें ट्रस्ट में नहीं रखना चाहिए।
राजभवन और पीएमओ का नाम बदलने पर उन्होंने कहा कि राज शब्द से क्या दिक्कत है। जब लोक भवन नाम रखा गया है तो वहां पर लोगों को जाने की अनुमति हो। निर्बाध रूप से आवागमन की छूट मिले। इसी प्रकार तीर्थ स्थान पापों को मिटाने का स्थान होता है। पीएम आवास किसी के पाप कैसे मिटाएगा। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसका नाम कुछ ओर करने को कहा जाएगा। ऐसा नहीं होता है तो न्यायालय जायेंगे। किसी को धार्मिक नामों का प्रयोग कर शब्दों को बदलने का कार्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस अवसर पर अपर मेलाधिकारी दयानंद सरस्वती और भक्तगण उपस्थित रहे।



