
दीपावली का मूल भाव अंधकार को दूर भगाना है:स्वामी कैलाशानंद गिरि
दीपावली अंधकार से प्रकार की और जाने का संदेश देती है:श्रीमहंत रविंद्रपुरी
हरिद्वार, 19 सितम्बर। जगद्गुरू शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि पांच दिनों तक मनाए जाने वाला रोशनी का पर्व दीपावली सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक और हमारे देश की संस्कृति, सामाजिकता और सौहार्द्र को वैश्विक स्तर पर दर्शाने वाला पर्व है। कनखल स्थित जगद्गुरू आश्रम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि चौदह वर्षो के वनवास के बाद और लंका पर विजय प्राप्त कर प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने पर अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर दीपावली मनायी थी। तब से यह परंपरा निरंतर चल रही है। उन्होंने कहा कि दीपावली का पर्व संदेश देता है कि बुराई चाहे रावण जैसी बलवान और बुद्धिमान क्यों ना हो, एक दिन उसका अंत निश्चित है।
निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि दीपावली का मूल भाव अंधकार को दूर भगाना है। जीवन को सुख और समृद्धि की रोशनी से जगमग करना है। ये त्योहार सिर्फ बाहरी दीप जलाने का ही नहीं, अंतरात्मा का दीपक जलाकर अंदर के द्वेष, ईर्ष्या, नकारात्मकता नामक अंधकार को दूर भगाने का संदेश देता है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भारत में मनाए जाने वाले सभी पर्वो में दीपावली का व्यवहारिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्व है। उन्होंने कहा कि दीपावली अंधकार से प्रकार की और जाने का संदेश देती है। दीपावली आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखें और परंपरांओं का पालन करते हुए दीपावली मनाएं। समाज के कमजोर वर्ग को भी अपनी खुशीयों में शामिल करें। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी, भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी ने भी सभी देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दी।