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Haridwar सनातन धर्म की रक्षा में अखाड़ों की रही है महत्वपूर्ण भूमिका: महन्त रविन्द्रपुरी 

संयम से सिद्ध होती है तंत्र साधना: करौली शंकर महादेव  

श्री करौली शंकर महादेव धाम में त्रिदिवसीय महासम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम समारोहपूर्वक सम्पन्न

समारोह में देश विदेश के दस हजार से भी ज्यादा साधकों ने किया प्रतिभाग

4500 साधकों ने ली तंत्र दीक्षा व 1250 साधकों ने ली मंत्र दीक्षा

हरिद्वार, 19 अक्टूबर। सनातन संसार का सबसे प्राचीन धर्म है, सनातन अनंत है, जब तक धरा पर सूर्य है, जब तक सनातन धर्म स्थापित रहेगा। यह विचार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्री महन्त रविन्द्रपुरी महाराज ने हरिद्वार में स्थित श्री करौली शंकर महादेव धाम में त्रिदिवसीय महासम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम समारोह के समापन के अवसर पर व्यक्त किये।

महासम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह तंत्र दीक्षा ध्यान साधना कार्यक्रम हम सभी के लिए एक आत्मिक यात्रा का प्रारंभ है, तंत्र दीक्षा व मंत्र दीक्षा के माध्यम से स्वयं को परिष्कृत करते हुये समाज सेवा, आध्यात्मिकता और धार्मिक एकता को मजबूत करना होगा।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की रक्षा में अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, उन्होने कहा कि ढोंग व पाखण्ड व सामाजिक विषमता को समाप्त करते हुये स्वामी करौली शंकर महादेव महाराज वैज्ञानिक रुप से तंत्र साधना व ध्यान के माध्यम से राष्ट्र कल्याण व समाज के समग्र विकास को समर्पित हैं।

स्वामी करौली शंकर महादेव ने कहा कि साधकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि संयम से ही तंत्र साधना सिद्ध होती है, तंत्र विद्या केवल एक साधना पद्धति नहीं, बल्कि जीवन को समझने और अनुभव करने का एक मार्ग है। यह हमें हमारे भीतरी शक्ति स्रोत से जोड़ता है। ध्यान के माध्यम से हम अपनी मानसिक अशांति को समाप्त कर सकते हैं और आत्मा की शुद्धता की ओर बढ़ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यह साधना केवल बाहरी दुनिया से दूर होने का साधन नहीं, बल्कि अपने भीतर की दुनिया को जागृत करने का अवसर है। तंत्र हमें सिखाता है कि जीवन में हर अनुभव, हर भावना एक साधना का रूप ले सकता है। यह हमें सिखाता है कि हम अपने भीतर की शक्तियों को कैसे पहचानें और जागृत करें। इस कार्यक्रम के माध्यम से, हम ध्यान और तंत्र की गहन विधाओं को आत्मसात करेंगे।

उन्हांेने कहा कि आप सभी साधक, इस साधना को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर, मानसिक शांति, आत्मिक ऊर्जा और जीवन की सकारात्मकता को अनुभव करेंगे। यह यात्रा केवल तीन दिन की नहीं है, यह जीवनभर चलने वाली साधना है, जो हमें हर पल जागृत और संतुलित बनाए रखेगी।

धाम पधारे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी जी महाराज का दरबार में सुबोध चैपड़ा, शिवराज सिकरवार, डा0 उमेश सचान व संस्था के सेवकों और साधु संतों के द्वारा भव्य स्वागत किया गया।

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