पतंजलि योगपीठ में मनाया गया देश का 73वाँ गणतंत्र दिवस
स्वर्गीय सी.डी.एस. बिपिन रावत कल्याणसिंह आदि महापुरुषों को मरणोपरांत पद्म पुरुस्कार से सम्मानित किए जाने पर राष्ट्र इन महापुरुषों के प्रति कृतज्ञ है: स्वामी रामदेव
मनुष्य को अधिकार का तो बोध रहता है किन्तु वह अपनी जिम्मेदारियों से भागता है:आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार, 26 जनवरी। पतंजलि योगपीठ व इससे सम्बद्ध सभी संस्थानों में देश का 73वाँ गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ-। में ध्वजारोहण कर समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज ज्ञानशक्ति, सैन्य शक्ति, कृषि, दुग्ध उत्पादन, आई.टी. आदि कई क्षेत्रों में देश बहुत आगे निकल चुका है, लेकिन भारत की सबसे बड़ी दुर्बलता है जातिवाद। देश आज मजहबी उन्माद में फँसा हुआ है। जाति और सम्प्रदाय के नाम पर ध्रुविकरण देश की एकता, अखण्डता व सम्प्रभुता के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इसलिए हमें राष्ट्र व विकास के नाम पर ध्रुविकरण करने की आवश्यकता है।
मैं राष्ट्रवासियों से यह आह्वान करता हूँ कि हमें तमाम प्रकार के उन्मादों से बाहर निकलकर संकल्प लेना होगा कि भारतीयता ही मेरी जाति होनी चाहिए, भारत और भारतीयता व राजधर्म ही सभी का धर्म होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज भारत की सैन्य शक्ति अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित है परन्तु आज भी हमें कुछ हथियार बाहर के देशों से खरीदने पड़ते हैं। इन हथियारों की खरीद में बहुत बड़े-बड़े घोटाले हो जाते हैं। साथ ही देश का लाखों-करोड़ों रुपया देश से बाहर चला जाता है। इस क्षेत्र में भी अब देश आत्मनिर्भर हो रहा है। अब भारत अपनी रक्षा करने में तो सक्षम है ही, साथ ही हमें दुनिया के दूसरे कमजोर देशों को हथियार देकर उन्हें भी स्वावलम्बी बनाने की दिशा में अग्रसर होना होगा।
स्वर्गीय सी-डी-एस- बिपिन रावत व स्वर्गीय कल्याणसिंह आदि महापुरुषों को मरणोपरांत पद्म पुरुस्कार से सम्मानित किए जाने पर स्वामी ने कहा कि पूरा राष्ट्र आज उनका कृतज्ञ है जिन्होंने देश के लिए जीवन को जीया और ऐसे महापुरुषों को जब भी ऐसे पुरुस्कार दिए जाते हैं तो इन पुरुस्कारों का भी गौरव बढ़ता है और साथ ही लोगों को प्रेरणा मिलती है कि वह भी राष्ट्र के लिए बड़े कार्य करें।
कोरोना संक्रमण पर स्वामी रामदेव ने कहा कि दो साल से पूरी दुनिया में सन्नाटा था। पूरा मेडिकल साइंस मिलकर भी कोरोना की कोई दवा नहीं बना पाया था। केवल एक वैक्सीन बनाई गई है जो कि मात्र रोकथाम है जबकि सर्वप्रथम पतंजलि ने कोरोना की दवा बनाई और अब हमने ओमिक्रॉन पर भी पूरा अनुसंधान कर लिया है और इसकी भी 100 प्रतिशत औषधि तैयार कर ली गई है।
कार्यक्रम में आचार्य ने कहा कि हमारे वीर, शहीद, क्रांतिकारियों ने अपने तप, पुरुषार्थ, लहू व जीवन अर्पण से देश को स्वतंत्र कराकर हम सबको स्वतंत्रता की श्वास को लेने का अवसर दिया। अनेक रियासतों को एक सूत्र में पिरोने के साथ संविधान के रूप में एक व्यवस्था में चलने का हम सबने संकल्प लिया, उसे हम प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। वस्तुतः गणतंत्र दिवस समूह में समवेत रूप से जो सामूहिक एक नियम व व्यवस्था में बंधने का संकल्प है। यदि हम व्यवस्था में होते हैं तो राष्ट्र का निर्माण होता है, परिवार में एकरूपता व प्रेम बढ़ता है, जीवन भी उन्नत, पवित्र, दिव्य व महान हो जाता है।
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस मनाते समय हमारे भीतर नियम, मर्यादा व व्यवस्था की बात होनी चाहिए। आज का दिन यह सोचने का दिन है कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं। जीवन में मनुष्य को अधिकार का तो बोध रहता है किन्तु वह अपनी जिम्मेदारियों से भागता है। उन्होंने कहा कि देश के 73वें गणतंत्र दिवस पर हम संकल्प लें कि कर्त्तव्य निर्वहन के लिए हम प्राणपण से स्वयं को अर्पण करेंगे। हम अधिकार नहीं, जिम्मेदारी के लिए तत्पर रहेंगे। माँ भारती की आन-बान व शान में कभी कोई कमी नहीं आने देंगे। आचार्य ने कहा कि राष्ट्र के लिए जीवन देना तो बड़ी बात है ही किन्तु एक संकल्प के लिए पूरा जीवन लगाना, जीवन का पल-पल संकल्प के लिए आहूत कर देना उससे भी बड़ा कार्य है। हमें प्रयास करना है कि विविध सेवा कार्यों में आलस्य, प्रमाद, स्वार्थ के कारण कोई न्यूनता न रह जाए। इस कार्य में योग हमारी सहायता करेगा क्योंकि योग आत्मानुशासन सिखाता है।
उन्होंने कहा कि देश में महर्षि दयानंद ने सर्वप्रथम स्वदेशी की अलख जगाई। उन्होंने कहा था कि स्वदेशी राष्ट्र सर्वोपरि होता है। हम उसी वैदिक परम्परा के अनुयायी हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में महर्षि दयानन्द के शिष्यों की पीढ़ी में लाला लाजपत राय, रामप्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, श्याम जी कृष्ण वर्मा आदि देशभक्त शामिल थे। हमारे दादा गुरु स्वर्गीय कृपालु महाराज राष्ट्रवादी क्रांतिकारी महापुरुष थे। कनखल स्थित कृपालु बाग आश्रम स्वतंत्रता आंदोलन का साक्षी है, जहाँ महान क्रांतिकारी देशभक्त रास बिहारी बोस ने तीन दिन तक शरण ली थी।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ-। व ।।, राजीव दीक्षित भवन, भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि अनुसंधान संस्थान, गौशाला कृषि फार्म, दिव्य नर्सरी, भरूआ सोल्यूशन, दिव्य फार्मेसी- डी-28, 29, 30, पतंजलि आयुर्वेद लि– डी-38, पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क आदि सभी संस्थानों के इकाई प्रमुख, अधिकारीगण व कर्मचारी, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, आचार्यकुलम्, वैदिक गुरुकुलम्, बाल गुरुकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम् के समस्त प्राध्यापकगण व छात्र-छात्राएं, ब्रह्मचारिगण, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे।