उत्तराखंड

भाई-बहन के प्रगाढ़ संबंधों का प्रतीक है भाई दूज पर्व

हरिद्वार।भैया दूज की परंपरा के पौराणिक प्रचलन का निर्वहन भाई बहन के प्रेम के रूप में आज भी हर्ष उल्लास में साथ मनाया जा रहा है।यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि चाहे परिस्थितियों में परिवर्तन आ जाये,किन्तु भी भाई बहन के संबंधों की प्रगाढ़ता एवं प्रेम की मिठास हर परिस्थिति में एक समान बनी रहती है।संबंधों को जोड़े रखने वाली यह प्राचीन परम्परायें ही जीवन सबसे बड़ी खूबसूरती है।

भाई-बहन के प्रगाढ़ संबंधों का प्रतीक भाई दूज के पर्व का पौराणिक महत्व है।यह पर्व यम देव और उनकी बहन यमुना जी से जुड़ा है जिसके अनुसार समयाभाव के कारण यमदेव अपनी बहन के घर नहीं जा पाते थे।

एक बार बिना बताए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को अपनी बहन यमुना जी के घर पहुँच गए,जिनको देखकर यमुना जी अति प्रसन्न हुई।

उन्होंने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया एवं स्वादिष्ट भोजन कराया।यमदेव ने प्रसन्न होकर बहन यमुना जी से मनोवांक्षित वर मांगने के लिए कहा।तब यमुना जी ने उनसे हर वर्ष इसी तिथि को आने और भोजन करने का आग्रह किया।

साथ ही यह वरदान भी लिया कि जो भाई इस तिथि को अपनी बहन के घर जाएगा,तिलक लगवाकर भोजन करेगा,अपनी बहन को उपहार देगा,आप उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे,और साथ ही आपका डर भी उसे नहीं रहेगा।यमदेव जो कि अपनी बहन से अत्यधिक प्रेम करते हैं

,तथास्तु कहकर यह वरदान उन्हें दे दिया कि कालांतर में ये वरदान भाई बहन के अटूट प्रेम के रूप में भाई दूज के पर्व के नाम से मनाया जाएगा।
धन्य है हमारी भारत भूमि जहां प्रेम की प्रगाढ़ता को बढ़ाने वाले एवं जीवन में एक नया ही उल्लास जोड़ते वाले पर्व यहाँ की पहचान है।

भाई दूज के पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

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