हरिद्वार

भारतीय संस्कृति की संवाहक थी सरोज बत्रा : श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी


श्रद्धालु गंगा मैया के दर्शनों के लिए उसके दर पर आते हैं ,मां गंगा उनको दर्शन देने के लिए उनके दर पर आती थी रावल गंगोत्री धाम

हरिद्वार 15 मई
एस एम जे एन पी जी कालेज हरिद्वार के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा एवं संजय कुमार बत्रा , जुडिशल मैजिस्ट्रेट की माता श्रीमती सरोज लता बत्रा की श्रद्धांजलि सभा में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्री महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि माता जी टाट वाले बाबा की अनन्य सेविका थी। गुरु की आराधना एवं सेवा का जो भाव उन में था वह बहुत ही कम देखने को मिलता है। उन्होंने अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के जो संस्कार प्रदान किये ,वे भारतीय संस्कृति की संवाहक थी।
आज वर्चुअल मोड पर श्रद्धांजलि सभा में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए रावल गंगोत्री धाम महाराज शिवप्रकाश ने कहा कि वे गंगा मैया की अनन्य सेविका थी। उन्होंने कहा कि दूर दूर से श्रद्धालु गंगा मैया के दर्शनों के लिए आते हैं लेकिन सरोज लता बत्रा माता जी मां गंगा मैया दर्शनों के लिए उनके निज निवास पर पहुंचती थी। तथा उसके बाद ही पशुपति नाथ के लिए रवाना होती थी।
श्री गुरु चरण अनुरागी समिति बिरला घाट की अध्यक्षा रचना मिश्रा ने कहा कि सरोज लता बत्रा बहुत ही तेजस्विता से भरपूर गृहस्थ संत थी।
उनके सिखाए हुए गुण उनकेे परिवार के सदस्यों में परिलक्षित होते है।
उन्होंने कहा कि माता जी ने टाट वाले बाबा जी की अनन्य सेवा की।
एस एम जे एन पी जी कालेज परिवार की ओर से डा संजय माहेश्वरी ने सभी की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि माता सरोज लता बत्रा का दैदीप्यमान मुस्कान बिखेरता हुआ चेहरा समस्त तनावों को दूर कर देता था। उनका आभा मंडल विलक्षण था
अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य के पूर्ण रुप से ठीक होने के पश्चात ही उन्होंने इस नश्वर शरीर का त्याग किया।
कोरोनावायरस महामारी के चलते वर्चुअल मोड पर गूगल ज़ूम के माध्यम से श्रद्धांजलि सभा को आहूत किया गया था तथा श्रद्धांजलि सभा का सफल संचालन बिन्नी पंडित ब्रह्म दारा किया गया।

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