पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से आनंद गिरि निष्कासित


संन्यास परंपरा में घर से संबंध रखने वाले को किया जाता है अखाड़े से बहिष्कृत : श्रीमहंत रविंद्रपुरी


हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के पंच परमेश्वरों ने घर से संबंध रखने वाले दिगंबर आनंद गिरी को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बैठक में सर्वसम्मति से अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज द्वारा भेजे गए पत्र पर कार्यवाही सुनिश्चित की गयी है। पत्र में स्वामी आनन्द गिरी मुल्तानी मढ़ी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पंच परमेश्वर की कार्यकारिणी की मीटिंग अष्टकौशल मायापुर में आयोजित की गई। जिसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर निष्कासन की कार्रवाई की गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज द्वारा श्रीपंच परमेश्वर के नाम पत्र आया। जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि दिगंबर आनंदपुरी मद्दी मुल्तानी उपनाम दिगंबर आनंद गिरि को अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाए। क्योंकि आनंद गिरि का संबंध उनके घर से हो गया है। इस सूचना के बाद पंच परमेश्वरों ने जांच कराई। जांच में यह बात बिल्कुल सत्य पाई गई। अखाड़े की सन्यास परंपराओं में घर से संबंध रखने वाले को तत्काल प्रभाव से अखाड़े से बहिष्कृत किया जाता है। आनंद गिरि बाघम्बरी मठ एवं लेटे हनुमान जी मंदिर से अर्जित धन का दुरुपयोग कर अपने घर भेज रहे थे। जांच में ये मामला सत्य पाया गया। जिसके बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने अखाड़े को पत्र लिखा। जिसके बाद उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। पूर्व में कुंभ के दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने अखाड़ा के श्रीपंचों के साथ बैठक कर निर्णय लिया था कि घर से संबंध रखने वाले को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने पुष्टि करते हुए बताया कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के पत्र के बाद सामने आई सत्यतता के आधार पर निरंजनी अखाड़ा के पंच परमेश्वर ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर आनंद गिरी को निष्कासित कर दिया है। स्वामी आनन्द गिरी लगातार अखाड़े की परम्पराओं का उल्लंघन कर रहे थे। जिसकी शिकायत मिलने पर यह कार्रवाई की सुनिश्चित की गयी है। उन्होंने कहा कि अखाड़े की परम्परा का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी संत अखाड़े की परम्पराओं का उल्लंघन एवमं परिवार से संबंध रखेगा। उसका अखाड़े से हटना निश्चित है।