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भारतीय संस्कृति की पहचान है कुंभ : श्रीमहंत रविंद्रपुरी

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में कुंभ के पहले दिन गुरु निरंजन देव का पूजन हुआ

हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में कुंभ मेले के पहले दिन आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज निरंजनी अखाड़ा के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के नेतृत्व में गुरु निरंजन देव का पूजन कर भंडारे का आयोजन किया गया।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में अखाड़े के पंच परमेश्वर और अन्य संतों ने गुरु निरंजन देव की पूजा अर्चना कर कुंभ मेले की शुरुआत करते हुए भंडारे का आयोजन किया। कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत, आईजी कुंभ संजय गुंज्याल, अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने भी अखाड़े में पहुंचकर संतों से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि सरकार द्वारा कुंभ मेले का नोटिफिकेशन 1 अप्रैल से जारी करते हुए मेला प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला भव्य और दिव्य रूप से संपन्न होगा। कोरोना महामारी को देखते हुए सभी गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए मास्क अवश्य लगाएं। सेनेटाइजर का इस्तेमाल करते हुए दूरी का पालन भी जरूर करें। आनंद अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला देश ही नहीं पूरे विश्व भारतीय संस्कृति का शिखर पर्व है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला 2021 दिव्य और भव्य रूप से आयोजित होगा। आज से कुंभ मेले का विधिवत शुभारंभ सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार हो गया है। जो 30 अप्रैल तक आयोजित होगा। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेले के आगाज के पहले दिन अखाड़ा में गुरु निरंजन देव का पूजन विधि विधान से किया गया। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की पहचान है। इस बार कोरोना के संक्रमण के बीच कुंभ मेला आयोजित हो रहा है। इसलिए को कुंभ में आने वाले श्रद्धालु गाइडलाइन का पालन जरूर करें। कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित रहें। इस अवसर पर स्वामी राम साधक ग्राम आश्रम वीरभद्र ऋषिकेश एवं जौलीग्रांट के ट्रस्टी स्वामी ऋत्वान भारती महाराज, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत राम रतन गिरी, श्रीमहंत ओमकार गिरी, श्रीमहंत राधे गिरी, श्रीमहंत नरेश गिरी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत शिव वन, श्रीमहंत केशव पुरी, दिगंबर सुखदेव गिरी, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर राजगिरी, दिगंबर राधे श्यामपुरी, दिगंबर राकेश गिरी आदि उपस्थित थे।

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