उत्तराखंडहरिद्वार

आयुर्वेद आर्थिक संसाधन बनाने का साधन नहीं: शंकराचार्य 

2014 में मोदी सरकार आने के बाद देश में कुंभ मेलो के दिव्य और भव्य आयोजन हो रहे हैं:श्रीमहंत रविंद्र पुरी

हरिद्वार,जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि आज आयुर्वेद एक साधना है, आर्थिक संसाधन बनाने का साधन नहीं है। कहा कि वेलनेस के नाम पर योग और आयुर्वेद का प्रचार हो रहा है। जबकि योग में केवल अभ्यास ही बताए जा रहे हैं। मशीनों से आयुर्वेद की दवाई नहीं बन सकती। आज मशीनों की दवाएं बिक रही हैं, जो बीमारी पर देर में असर करती हैं। रसायन आज भी वैध द्वारा खरल में ही सही तरीके से घोंटने से बनाए जाते हैं। ये बाते उन्होंने प्रेमनगर आश्रम में आयुर्वेद संहिता धाम ट्रस्ट द्वारा आयोजित आयुर्वेद कुंभ कार्यक्रम में कहीं।

रस चिकित्सा एक कैंसर पर आयोजित तीन दिवसीय आयुर्वेद कुंभ का जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम में देशभर से आयुर्वेद डॉक्टर, वैध और छात्र छात्राओं ने शिरकत की। दोनों संतों ने संस्था की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी का भी भ्रमण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने नासिक और हरिद्वार कुंभ से पूर्व हरिद्वार में आयुर्वेद कुंभ का आयोजन करने पर आयोजकों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि वो भी हृदय से वैध हैं और उन्होंने कई ग्रंथों का अध्ययन भी किया है किन्हीं कारणों से वो आयुर्वेद की पढ़ाई नहीं कर पाए। जगद्गुरु ने कहा कि वो चाहते हैं कि देश में आयुर्वेद की उन्नति हो। जब सृष्टि की संरचना हुई थी, तब सनातन के साथ आयुर्वेद की भी उत्पत्ति हुई थी। मन, मस्तिष्क, हृदय और भावनाओं की चिकित्सा आयुर्वेद के पास है। आज सनातन और आयुर्वेद का समय है। योग अभियांत्रिक चेतना का विषय, जो बीमारियों को जड़ से निदान करती है। जबकि एलोपैथि में बीमारियों को दबाया जाता है।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने हरिद्वार में आयुर्वेद कुंभ का आयोजन करने पर आयोजकों को शुभकामनाएं दी और कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद देश में कुंभ मेलो के दिव्य और भव्य आयोजन हो रहे हैं। योग भी आयुर्वेद का ही अंग है। योग को वैश्विक स्तर पर पहचाना दिलाई गई। हरिद्वार संतों की नगरी है और यहां आयुर्वेद कुंभ का अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश में आयुर्वेद के नाम पर पाखंड भी हो रहा है, बिना डिग्री और लाइसेंस के लोग अपनी आयुर्वेद की दुकानें चला रहे हैं। इन पर लगाम भी लगना जरूरी है। उत्तराखंड जड़ी बूटियों का राज्य है। यहां भी आयुर्वेद का खजाना छिपा हुआ है। आयुर्वेद ही हमें मोक्ष के द्वार लेकर जाता है। इसलिए अपनी इस सनातनी सभ्यता और संस्कृति का प्रचार प्रसार होना बेहद आवश्यक है।

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