
हरिद्वार, 29 अक्टूबर। तीन दिवसीय यात्रा के दौरान बुधवार को हरिद्वार पहुंचे सूरीनाम के पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी ने कनखल स्थित रामेश्वर आश्रम का दौरा किया। यहां उन्होंने महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त किया। भारतीय मूल के संतोखी ने आश्रम में भगवान शिव का अभिषेक किया तथा देश की समृद्धि और विश्व शांति की कामना की। उन्होंने गुरु पूजन और गो पूजन भी करवाया, जो उनकी गहन आध्यात्मिक आस्था को दर्शाता है।
पूर्व राष्ट्रपति संतोखी ने कहा भारत की संस्कृति को जानने के लिए मैं बार-बार भारत आता हूं। यहां की संस्कृति न केवल भारत, अपितु पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है। हरिद्वार आकर मुझे संतों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है, जो भगवान शिव और मां गंगा का आशीर्वाद है। उन्होंने स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती से अपने पुराने रिश्ते का जिक्र किया, स्वामी जी का मेरा बहुत पुराना संबंध है। समय-समय पर उनका आशीर्वाद मुझे प्राप्त होता रहता है। मेरा पूरा परिवार आश्रम से जुड़ा हुआ है। भारत हिंदू राष्ट्र है, जो विश्व पटल पर अपनी सांस्कृतिक विरासत से चमकता है।
सूरीनाम के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी जी के साथ हमारी अच्छी दोस्ती है। वे भारत ही नहीं, अपितु विश्व के नेता हैं। उनकी दूरदृष्टि से भारत- सूरीनाम संबंध और मजबूत हो रहे हैं।” संतोखी ने याद किया कि उन्होंने अपना शपथ ग्रहण संस्कृत में वेद मंत्रों के साथ किया था, जो भारतीय संस्कृति से प्रेरित था। उन्होंने कहा कि सूरीनाम में भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या है, जो हिंदू परंपराओं को जीवंत रखे हुए हैं।
आगमन पर आश्रम के प्रमुख संतों ने उनका पारंपरिक स्वागत किया। महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद जी महाराज, स्वामी ऋषि देव जी महाराज, रोहित देव जी, स्वामी नरेशानंद सरस्वती, स्वामी आनंद देव जी तथा स्वामी सत्य श्रेय वात्सल्य गंगा ने पुष्पार्चन और आरती उतारकर अभिनंदन किया। स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, पूर्व राष्ट्रपति जी का आगमन आश्रम के लिए गौरव की बात है। उनकी भक्ति और भारत प्रेम हमें प्रेरित करता है।”
यह यात्रा सूरिनाम-भारत सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का माध्यम बनी। संतोखी की यह यात्रा 2020 में गणतंत्र दिवस मुख्य अतिथि के रूप में भारत दौरे की याद दिलाती है। उन्होंने हरिद्वार की पवित्रता को सूरिनाम लौटकर प्रचारित करने का वादा किया। युवा पीढ़ी के लिए यह एक प्रेरणा है कि कैसे भारतीय मूल के नेता वैश्विक मंच पर अपनी जड़ों को मजबूती से थामे रखते हैं।



