हर्ष और उल्लास का पर्व है होली: श्रीमहंत रविंद्र पुरी
निरंजनी अखाड़े में धूमधाम से मनी होली, गीतों पर झूमे संत
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी संग संत अबीर गुलाल लगाकर सरोबार हुए संत
संवाददाता/मनोज मंत्री
हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में होली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज संतों और पत्रकारों को अबीर गुलाल लगाकर होली के रंगों में सराबोर हो गए। राधा कृष्णा की वेशभूषा में कलाकारों के साथ श्रीमहंत रविंद्रपुरी खूब झूमे।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में रंगों के पावन पर्व होली की शुरुआत पूजा अर्चना के बाद पारंपरिक रूप से की गई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने सभी संतों को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज कुमाऊं और गढ़वाल की पारंपरिक होली के गीतों पर खूब झूमे। नगर में जोगी आया.., जो कान्हा के खेलोगे होली.., राधे राधे ओ मिलेंगे कुंज बिहारी आदि गीतों पर संत जमकर झूमे और होली खेली।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने प्रदेशवासियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली भारतीय संस्कृति का सबसे खूबसूरत और हर्ष और उल्लास का पर्व है। होली का त्यौहार समाज में एकता और समरसता का संदेश देता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की विशेष पहचान है। देश की एकता बनाए रखने के लिए मिलजुल कर पर्व बनाने चाहिए। सभी मतभेदों को बुलाकर एक दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा होली प्रदान करती है। साथ ही रंग का त्यौहार होने के कारण भी होली हमें प्रसन्न रहने की प्रेरणा देती है।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत राम रतन गिरी महाराज ने कहा कि होली की बधाई देते हुए कहा कि रंगों, उमंगों व उल्लास का प्रतीक होली जीवन को नई प्रेरणा देती है। फाल्गुन के उल्लास भरे मौसम में मनायी जाने वाली होली पूरे देश को जोड़ती है। रंगों के इस पर्व के उल्लास में सभी एक हो जाते हैं। सभी को होली के अवसर पर समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए।
महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि होली दिलों को जोड़ने वाला पर्व है। कहा कि भारत भगवान राम, भगवान कृष्ण सहित महापुरुषों का देश है। भारत में कदम-कदम पर धर्म की गाथाये लिखी गई है। देश में मनाए जाने वाले विभिन्न त्यौहार भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं। सनातन संस्कृति के प्रतीक होली महापर्व में खेले जाने वाले रंग मन के मैल को धो डालते हैं। होलिका दहन में सभी बुराइयां भी जलकर खाक हो जाती हैं। होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।श्री महंत राम रतन गिरी, श्री महंत राधे गिरी, श्री महंत राकेश गिरी, महंत रवि पुरी,टीना आदि मौजूद रहे।